इस देश में अभी भी कुछ लोग बाक़ि हैं जिन्हें आसाराम में बापू नज़र आता है। मेरी शिकायत उनसे बिल्कुल भी नहीं। इस देश का निज़ाम, यहां की जनता, रहन-सहन में इतना अधिक अंधविश्वास पसरा हुआ है कि एक आसाराम को सज़ा देने भर से समस्या समाप्त नहीं होगी। धार्मिक आडंबर और दकियानूसी सोच ने इंसान को इंसान से नफरत करना सिखा दिया। हाड़ मांस का एक जैसा जिस्म, नाक आँख की बनावट भी कमोबेश एक जैसी फिर भी हिंदू और मुसलमान के नाम पर काटने को दौड़ते लोग। क्या आसाराम और क्या दूसरे बाबा साधू संत फक़ीर। मज़हब का इस्तेमाल किया और बस सब सेट। मध्य प्रदेश के उन चार बाबाओं का क़िस्सा तो सबको मालूम ही होगा। नर्मदा मैय्या के नाम पर घोटाला यात्रा निकालने वाले थे। शिवराज सरकार पर दबाव के लिए। सरकार ने दर्जाप्राप्त मंत्री बना दिया। यात्रा रोक दी। आप एमपी घूम आइए। मौका लगे तो उन चार में से किसी एक बाबा के साथ दो चार दिन गुजारइए। एक से एक ब्यरोक्रेट ऐर आईआईटियन पैर दबाते दिख जाएंगे।
तो भैया आसाराम पर खुश मत होइए। सिस्टम है ये। धर्म और पॉलिटिक्स का सिस्टम। ताकि पॉवर में रहे। पॉवर से बड़ा नशा कुछ नहीं। अफीम एंड रिलिजन टाइप कथन ठेलने वाले एथीस्ट सब को बताइए। सत्ता ही सब कुछ है।
मोहम्मद अनस
(लेखक युवा पत्रकार हैं पूर्व राजीव गांधी रिसर्च फॉउंडेशन में रीसर्च फेलो रहे हैं)