कुंभ मेले में मुग़लों ने शुरू किया था साधु संतों का शाही स्नान

-पंकज पाठक

जब इलाहाबाद का नाम बदल दिया तो शाही स्नान की परंपरा क्यों जारी है..?

शाही स्नान मुगलों की स्थापित की हुई परंपरा है..14-16 वी शताब्दी के बीच मुगलों से साधु सन्यासी असंतुष्ट थे..शहंशाहों को आये दिन सन्यासी विद्रोहों का सामना करना पड़ता था..परेशान होकर मुगलों ने एक तरकीब निकाली..! साधुओं की बैठक बुलाकर सबके झंडे अलग कर दिए और कुम्भ स्नान में शाही शान का प्रवेश किया गया..फरमान जारी हुआ कि स्नान पहले साधु स्नान करेंगे,बाद में आम जनता और गंगा तट तक उन्हें राजाओं की तरह लाया जाएगा..!

इसके बाद कुछ शांति हुई लेकिन पहले स्नान करने के लिये अखाड़े आपस मे लड़ने लगे..! बाद में अंग्रेजों ने अखाड़ों के स्नान का क्रम तय किया जो आज तक जारी है..!

शाही स्नान दरअसल अमृत स्नान है जिसे ब्राह्ममुहूर्त में करने पर अमरत्व की प्राप्ति होती है..! लेकिन आम जनता के हिस्से में अमृत कभी नहीं आया..! उसे अखाड़े ही लूटते आये हैं..!

#शाही_स्नान

(Pathak Pankaj की फेसबुक वॉल से साभार)

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