राजस्थान के विभिन्न जन संगठनों ने शनिवार 18 अप्रैल को एक संयुक्त ज्ञापन देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से प्रवासी मज़दूरों को भी घर भेजने की व्यवस्था करने की मांग की हैै।
ज्ञापन में मुख्य रूप से दो मांग की गई है
1. लॉकडाउन के कारण प्रवासी मज़दूरों को घर भेजने की व्यवस्था करना सुनिश्चहित करें।
2. लॉकडाउन के कारण अजमेर दरगाह में फंसे हुए जायरीन को घर भिजवाने हेतु स्पेशल ट्रेन या अन्य व्यवस्था करवाने हेतु।
ज्ञापन में जन संगठनों ने लिखा है कि,
जिस प्रकार कोटा में विभिन्न कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे उत्तरप्रदेश के छात्रों को उनके घर भिजवाने की व्यवस्था उत्तरप्रदेश सरकार, केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अनुमति देकर की गई है और सभी राज्यों के मजदूरों को छोड दिया गया है यह बहुत ही भेदभावपूर्ण है और गरीबों के साथ भद्दा मजाक किया गया है.
प्रवासी मजदूर विभिन्न राज्यों में फंसे हुए हैं और कोटा के अलावा भी अन्य कई जिलों में छात्र है उन सभी को भी उनके घर तक पहुँचाया जाये.
इसलिए इस सम्बन्ध में हमारा आपसे निवेदन है कि आप तुरंत केन्द्रीय गृह मंत्रालय को कड़ा पत्र लिखें और उसमें गरीब और अमीर का भेदभाव केंद्र और उत्तरप्रदेश सरकार कर रही है जिसे बंद किया जाये।
दिनांक 15 व 17 अप्रैल 2020 को आपके द्वारा मीडिया को दिये गए वक्तव्य सराहनीय था जिसमें ख़ास तौर से प्रवासी मजदूरों को अपने घर पहुँचाने की बात को लेकर आपके द्वारा चिंता प्रकट की गयी।
हमारा भी मानना है कि प्रदेश के लाखों प्रवासी मजदूर घर जाना चाहते हैं।
इनमे से सिर्फ जयपुर में ही लगभग 4.5 लाख होंगे जो सीतापुरा, नाहरी का नाका, विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र आदि अनेक कच्ची बस्ती में रह रहे हैं।
आपके ही सरकारी आंकड़े कहते हैं की 18,000 मजदूर तो वो हैं जो प्रदेश के विभिन्न शेल्टर होम में 30 मार्च से रह रहे हैं।
अधिकांश प्रवासी मजदूर घर जाने के लिए बहुत ही व्याकुल हैं क्योंकि लॉकडाउन में उन्हें घर से दूर बन्दियों जैसा जीवन जीना पड़ रहा है।
सरकार द्वारा दिया जा रहा पका पकाया भोजन रोजाना की जरुरत पूरी नही कर सकता और सूखा राशन भी बहुत कम लोगों तक ही पहुँच पा रहा है। सूखे राशन की मात्रा भी बहुत कम है।
इसी प्रकार का एक बड़ा समूह जिसमें चार हजार से अधिक जायरीन हैं जो अजमेर में ख्वाज़ा साहब की दरगाह की ज़ियारत करने आये थे अचानक घोषित लॉकडाउन तथा बस व ट्रेन सुविधा बन्द हो जाने के कारण दरगाह क्षेत्र में विगत दो सप्ताह से भी अधिक समय से फंसे हुए हैं।
ये ज़ायरीन उत्तरदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र आदि राज्यों से आए हुए हैं। इन सभी का पूर्ण विवरण मोबाइल फ़ोन सहित दरगाह कमिटी द्वारा बनाया गया है व जिला कलेक्टर को दिया गया है।
ये ज़ायरीन दरगाह क्षेत्र में स्थित होटल, गेस्ट हाउस या खादिमो के घर पर रह रहे हैं।
इनमे से अधिकांश के पास धनराशि समाप्त हो गयी है और वे दानदाताओ के सहारे जीवन यापन कर रहे हैं।
इतने दिन बीत जाने के बाद उनके पास होटल आदि का किराया चुकाने की क्षमता भी नही है और ना ही जिनके घरों में रह रहे हैं अब वहां और लम्बा रह सकते हैं क्योंकि इस वक्त कोई भी किसी और का आर्थिक बोझा लेने की क्षमता नहीं रखता।
इनकी विकट परिस्थितियों को देखते हुए अब जब लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है और ये तब तक जारी रहेगा इसको मद्देनज़र रखते हुए इन लोगों को अपने घर भेजा जाना जरुरी है।
इस सम्बन्ध में हमारा आपसे आग्रह है कि प्रधानमन्त्री व रेलमंत्री से वार्ता कर जो मजदूर घर जाना चाहते हैं और जो जायरीन फंसे हुए हैं उनके लिए सम्पूर्ण स्वास्थ्य जांच व सोशल दूरी की प्रक्रिया अपनाते हुए स्पेशल ट्रेन चलवाकर उन्हें घर भिजवाने की व्यवस्था करावें।
ज्ञापन देने वालों में निम्नलिखित संगठन शामिल रहे
• पीयूसीएल राजस्थान – कविता श्रीवास्तव, अनंत भटनागर, भंवर लाल कुमावत (पप्पू)
• एन ए पी एम राजस्थान – अखिल चौधरी
• सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज, राजस्थान – कोमल श्रीवास्तव, हेमंत मोहनपुरिया, बाबूलाल व नविन महिच
• निर्माण एवं जनरल मजदूर यूनियन – हरिकेश बुगालिया
• मजदूर किसान शक्ति संगठन – निखिल डे
• राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन – मुकेश गोस्वामी
• सूचना का अधिकार मंच – कमल टांक
• भारत ज्ञान विज्ञानं समिति – अनिल
• हेल्पिंग हैंड्स जयपुर – नईम रब्बानी, डॉ राशिद हुसैन, नुरुल अबसार, वकार अहमद
. जमाते इस्लामी हिन्द राजस्थान – मो. नाजिमुद्दीन
• पिंक सिटी हज एंड एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी – अब्दुल सलाम जोहर