राजनीति मे नेताओं की हार भी कभी कभी बड़ी जीत का कारण बनकर आती है। राजस्थान मेंं कांग्रेस के महादेव सिंंह व कैलाश चोधरी के साथ ऐसा ही हुुुआ है।
कहते है कि हर एक नफे नूकसान मे ऊपर वाले की कुछ रजा छुपी होती है। राजनीति मे भी नेताओं की कभी कभार होने वाली हार मे कुछ अच्छाई छूपी होने के प्रमाण हमे भी कभी कभार देखने को मिलते हैं। लगता है कि महादेव सिंह व कैलाश चोधरी की विधानसभा चुनाव की हार के पीछे बड़ी जीत छुपी हुई थी।
2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव मे सीकर जिले की खण्डेला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर महादेव सिह खण्डेला चुनाव लड़े और वो चुनाव हार गये।
लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद 2009 के लोकसभा चुनाव मे विधानसभा चुनाव हारे हुये महादेव सिंह को कांग्रेस ने सीकर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया तो वो चुनाव जीतकर सांसद बने गये।
केंद्र मे कांग्रेस की मनमोहन सिंह के नेतृत्व मे सरकार बनी तो महादेव सिंह खण्डेला को उस सरकार मे मंत्री बना दिया गया।
महादेव सिह खण्डेला की ही तरह राजस्थान के बाड़मेर जिले की बायतू विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार कैलाश चोधरी 2018 का चुनाव हार गये।
चार महिने बाद हुये 2019 के लोकसभा चुनाव मे भाजपा ने कैलाश चोधरी को बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाने पर वो चुनाव जीतकर सांसद बन गये।
आज नरेन्द्र मोदी मंत्रीमंडल मे सांसद कैलाश चोधरी को मंत्री बनाया जा रहा है।
अजीब संयोग है कि महादेव सिंह व कैलाश चोधरी दोनो जाट बीरादरी से ताल्लुक रखने के साथ साथ दोनो में से महादेव सिंह कांग्रेस से व कैलाश चोधरी भाजपा की तरफ से पहली दफा सांसद बनते ही केंद्र मे मंत्री बनने का दोनो को अवसर मिला।
दोनो विधायक रहे ओर दोनो को विधायक रहते चुनाव हारने के बाद उन्हें लोकसभा का टिकट मिलते ही पहले झटके मे सांसद व मंत्री बन गये। जबकि दोनो ही राजस्थान के किसी भी मंत्रिमंडल के सदस्य अभी तक नही रह पाये है।
-अशफ़ाक़ कायमखानी
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)