अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी में आज पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को छात्रसंघ द्वारा आजीवन सदस्यता प्रदान की जानी थी। बीजेपी इस बीच पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना की तस्वीर जो कि एएमयू के यूनीयन हॉल में लगी है को वहां से निकालने की बात करने लगी।
गोपाल कृष्ण गोखले ने मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में कहा था कि वे हिंदू मुस्लिम एकता के दूत हैं यही बात सरोजनी नायडू ने भी दोहराई। एएमयू में उनकी तस्वीर 1938 में लगाई गई। जबकि पाकिस्तान की मांग उन्होंने 1940 में की थी। 1938 के पहले तक वह एक क़ाबिल वकील और सेक्यूलर विचारधारा के नेता थे। एक तरफ हिंदू महासभा थी तो दूसरी तरफ मुस्लिम लीग। दोनों का बराबर योगदान रहा भारत के बंटवारे में।
अकेले जिन्ना ही नहीं बल्कि एएमयू छात्रसंघ ने महात्मा गाँधी, जेपी, आंबेडकर समेत बहुत सी विभूतियों को आजीवन सदस्यता प्रदान की है और उनकी तस्वीर परंपरानुसार वहां मौजूद है। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी तथा भाजपा के रिश्ते जगजाहिर हैं। भाजपा ने उन्हें कभी भी सम्मान नहीं दिया। यहां तक की उनके विदाई समारोह में भी पीएम मोदी ने उन पर कटाक्ष किया था।
आज जब एएमयू में हामिद अंसारी मौजूद थे तभी भाजपा के लोगों ने गेट पर पहुंच कर नारेबाज़ी शुरू कर दी। छात्रों ने उन्हें पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया। न्यायसंगत तो यही था कि उन प्रदर्शनकारियों की जमा तलाशी ली जाती। छात्रों का कहना है कि वे सब हथियार से लैस थे। ख़ैर पुलिस ने आधा दर्जन भाजपाईयों को तुरंत ही छोड़ दिया और फिर छात्रों को घेर कर पीटना शुरू कर दिया।
यह कोई मामूली बात नहीं है। यह इस देश में अल्पसंख्यकों को भयभीत तथा उनके शैक्षणिक संस्थानों की नींव हिलाने की साज़िश का हिस्सा है जिसे आरएसएस अंजाम दे रही है। जब भीतर देश का पूर्व उपराष्ट्रपति आजीवन सदस्यता ग्रहण कर रहा हो तभी बाहर राज्य पुलिस उनकी पिटाई करे जो पूर्व उपराष्ट्रपति को यह सम्मान दे रहे हों तो संदेश साफ है। वे क्या कहना चाहते हैं। वे बताना चाहते हैं कि इस देश में तुम्हें रहना है तो दब कर रहो। दोयम दर्जे का नागरिक बन कर रहो। लेकिन संघियों। अभी तुममें इतनी हिम्मत और ताक़त नहीं है कि इस प्यारे वतन जिसका नाम हिंदुस्तान है, यहां की आबो हवा से तुम हमारा नाम मिटा सको। चार दिन की सरकार है। कर लो जितना अन्याय करना है। फिर वापस से वही शाखा। वही पैंट। वही खो खो। वही कबड्डी। आज सरकार है,पुलिस है तो उसका इस्तेमाल कर लो। हम डंटे रहेंगे। घेर कर मारोगे फिर भी हटेंगे नहीं। हम इस देश के संविधान के रखवाले हैं। अंग्रेज भी ऐसे ही पीटते थे क्रांतिकारियों को। हम उस दौर की याद दिला रहे हैं। मारोगे पर हरा नहीं पाएओगे।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी ज़िंदाबाद।
छात्र एकता ज़िंदाबाद।
हामिद अंसारी ज़िंदाबाद।
मोहम्मद अनस,
स्वतंत्र पत्रकार तथा सोशल मीडिया विशेषज्ञ