जहाजपुर सांप्रदायिक हिंसा में निर्दोषों पर कार्रवाई का आरोप, पीड़ितों को मुआवजे की मांग

-नाज़िम हसन

जयपुर। जयपुर से विभिन्न जनसंगठनों का एक संयुक्त प्रतिनिधी मण्डल बुधवार को जहाजपुर पहुंचा और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात की। डेलिगेशन ने एकतरफा कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए निर्दोष लोगों की जल्द रिहाई और असली दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। शाहपुरा के एडीएम सुनील पुनिया ने कहा कि उन्हें पूरी घटना की जानकारी नहीं थी और उन्होंने विश्वास दिलाया कि कानूनी कार्रवाई निष्पक्ष होगी। इसके साथ ही, दुकानों के नुकसान का सर्वेक्षण कराने के लिए एक टीम गठित की गई है, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर पीड़ितों को मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

डेलीगेशन ने स्थानीय निवासियों से बात करने के बाद अपनी रिपोर्ट में बताया कि कुछ दिनों पहले, 14 सितंबर को भीलवाड़ा शाहपुरा के जहाजपुर में शोभायात्रा के दौरान मामूली कहासुनी से सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया, जो जल्द ही हिंसा में बदल गया। स्थानीय निवासियों ने बताया कि इस तरह के जुलूस वर्षों से निकलते रहे हैं, जिनमें आमतौर पर 15 से अधिक लोग शामिल नहीं होते थे। हालांकि, इस बार जुलूस में 700-800 लोग लाठी-डंडों के साथ शामिल थे और मस्जिद के बाहर आपत्तिजनक नारे लगाए गए, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। इस घटनाक्रम से ऐसा लगा जैसे यह सब पहले से योजनाबद्ध था।

आपत्तिजनक नारों के बाद माहौल गर्मा गया, और जल्द ही पत्थरबाजी शुरू हो गई, जिससे सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी। हिंसा के तुरंत बाद, स्थानीय विधायक गोपीचंद मीना मौके पर पहुंचे और मस्जिद को अवैध बताते हुए उस पर बुलडोजर चलाने की मांग की। उसके बाद प्रशासन ने मस्जिद के दस्तावेज़ों की जांच के लिए 24 घंटे का नोटिस जारी कर दिया।

वहीं, इस हिंसा के कुछ ही घंटों बाद, स्थानीय नगर पालिका ने मुसलमानों की 70-80 दुकानों को तोड़ दिया। व्यापारियों का कहना है कि पहले उनकी दुकानों को लूटा गया और फिर बुलडोजर से गिरा दिया गया। इसके बाद इन दुकानों में आग भी लगा दी गई। जिन व्यापारियों से बात की गई, उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई प्रशासन या नगर पालिका की नहीं थी, बल्कि स्थानीय विधायक के कहने पर निजी बुलडोजरों से की गई।

क्षेत्रवासियों ने आरोप लगाया कि हिंसा भड़काने वाले लोग बाहर से बुलाए गए थे और उनकी वजह से यहां के गरीब लोगों को नुकसान उठाना पड़ा। उनका कहना है कि ज्यादातर पीड़ित दुकानदारों ने कर्ज लेकर अपना व्यापार शुरू किया था, और अब उनकी आजीविका खत्म हो गई है। इसके अलावा, प्रशासन की कार्रवाई में एकतरफा रवैया अपनाया गया, जहां निर्दोष मुसलमानों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन हिंसा फैलाने वाले असली दोषियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

डेलीगेशन को लोगों ने बताया कि इस पूरे प्रकरण में स्थानीय विधायक गोपीचंद मीणा ने पुरी दबंगाई के साथ माहौल को बिगाड़ कर हिंदु समुदाय को उग्र होने में आग में घी डालने का काम किया। डेलिगेशन ने प्रभावितों से मिलकर पूरे हालात जाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के संबंध में प्रशासन से निष्पक्ष कार्यवाही कर उनको मुआवज़ा दिए जाने की मांग रखी। डेलिगेशन ने शाहपुरा ज़िला कलेक्टर कार्यालय पहुँच कर भी इस संबंध में प्रशासन को अवगत कराते हुए न्याय एवं मुआवज़े की बात कही।

डेलिगेशन में मोहम्मद नाजीमुद्दीन महासचिव राजस्थान मुस्लिम फोरम ( अध्यक्ष जमात-ए-इस्लामी हिंद राजस्थान), सवाई सिंह अध्यक्ष एफडीसीए अध्यक्ष राजस्थान एवं राजस्थान समग्र सेवा संघ, एडवोकेट सैयद साअदत अली अध्यक्ष एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन सिविल राइट्स राजस्थान चैप्टर, हाफिज मंजूर महासचिव जमीयत उलेमा-ए-हिंद, मोहन लाल बैरवा सदस्य राष्ट्रीय कोर कमेटी मेंबर आजाद समाज पार्टी एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष दलित मुस्लिम एकता मंच , शौकत क़ुरैशी पूर्व सदस्य वक्फ बोर्ड राजस्थान एवं सचिव मिल्ली काउंसिल राजस्थान, मुजम्मिल रिज़वी महासचिव एपीसीआर और एफडीसीए राजस्थान, डॉ. शाहबुद्दीन प्रदेश उपाध्यक्ष एसडीपीआई राजस्थान, वकार अहमद प्रदेश अध्यक्ष डब्ल्यूपीआई राजस्थान , अब्दुल लतीफ आरको अध्यक्ष प्रांतिय मुस्लिम तेली महापंचायत तथा राष्ट्रीय समन्वयक इंटक, प्रोफेसर एस जी मोदानी रिटायर्ड डीन एमएनआईटी, बसंत हरियाणा सचिव राजस्थान नागरिक मंच, कौशल सत्यार्थी अध्यक्ष मानव सेवा ट्रस्ट राजस्थान, एडवोकेट सरवर अली सदस्य राजस्थान मुस्लिम फोरम (आरएमएफ), अबरार सदस्य (आरएमएफ), आदि शामिल रहे।

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