जोधपुर के सूरसागर में हुई सांप्रदायिक घटना के संबंध में ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के एक प्रतिनिधी मण्डल ने प्रदेश महासचिव एडवोकेट काशिफ जुबैरी के नेतृत्व में पीड़ितों से मुलाक़ात कर घटनाक्रम के बारे में जानकारी हासिल की। उसके बाद प्रतिनिधि मंडल ने संपूर्ण घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका, पीड़ितो को मुआवज़ा देने और प्रशासन की एकतरफ़ा कार्यवाही के विरोध में जोधपुर कलेक्टर कार्यालय पहुँच कर प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाक़ात कर अपना विरोध जताया।
जोधपुर जिला कलेक्टर को दिए ज्ञापन में 21.06.2024 को सूरसागर में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की निष्पक्ष जांच करने, बेकसूर लोगो को छोडने, साम्प्रदायिक हिंसा में पीड़ितों को हुए सम्पति के नुकसान का मुआवजा देने और हिंसा में पुलिस की भूमिका की जांच करने की मांग की गई।
एडवोकेट काशिफ जुबैरी ने बताया कि जोधपुर शहर अपनायत का शहर है जहां सभी वर्ग के लोग मिलजुकर एक साथ रहकर अपना जीवन यापन करते है, लेकिन कुछ समय से जोधपुर शहर की अपनायत को कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा छलनी किया जा रहा है। यहां विशेष वर्ग के लोगो में एक कूटरचित राजनीति से आपसी फूट पैदा की जा रही है और मामूली बातो पर शहर का माहौल ख़राब किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि जोधपुर शहर में 21.06.2024 की रात्रि में सूरसागर क्षेत्र के कुछ लोगो द्वारा जोधपुर की शांति भंग करने व भयभीत माहौल पैदा करने के कोशिश की गई है। जिसके कुछ विडियो सोशल मिडीया तथा न्यूज चैनलो में भी वायरल हुए है।
उन्होंने आरोप लगाया कि विडियो मे साफ दिखाई दे रहा है कि पुलिस अपना काम निष्पक्ष नही कर रही है। पुलिस के संरक्षण मे ही असामाजिक तत्वो द्वारा पत्थरबाजी व आगजनी समाज विशेष के उपर की जा रही है। वीडियो में पुलिस उन्हे रोकने, गिरफतार करने के बजाय उनका सहयोग करती हुई दिख रही है। जबकि पुलिस का कार्य दोषियो को गिरफतार कर शांति व्यवस्था कायम करना होता है। पुलिस ने विशेष वर्ग को सहयोग प्रदान कर अपना काम पुरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से नही किया है। जो कि पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही पर सवालिया निशान पैदा करता है। यह लोकतंत्र के लिए बहुत घातक है। पुलिस की जिम्मेदारी बनती है कि इस प्रकार की घटना में तुरंत बल प्रयोग कर दोनो पक्षो मे शांति व्यवस्था कायम कर दोषियो को गिरफतार किया जाए।
उन्होंने कहा कि हम प्रशासन से मांग करते हैं कि इस हिंसा के लिए जो भी जिम्मेदार है, उसकी पुलिस के किसी ईमानदार उच्च अधिकारी से जांच करवाकर दोषियो के विरूद्व कार्यवाही की जावे। जिन बेकसूर, बेगुनाह लोगो को बिना किसी ठोस सबूत के घर में घुसकर पकड़ा गया और गंभीर धाराओ में जेल में डाला गया है उनको छोडा जाए। जिस किसी भी पक्ष के व्यक्ति को जो आर्थिक व शारीरिक नुकसान हुआ है उसको सरकार द्वारा मुआवजा दिया जावे। सभी दोषियो के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जावे।