
जयपुर। जमात-ए-इस्लामी हिन्द, राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद नाज़िमुद्दीन ने बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजस्थान उर्दू अकादमी, जो राज्य में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभालती है, वर्तमान में केवल एक गैर-उर्दू कर्मचारी के भरोसे चल रही है। पिछले कुछ समय से अकादमी की स्थिति अत्यंत दयनीय है। उर्दू में आने वाले दस्तावेजों, पत्राचार और फाइलों की जांच-पड़ताल तक नहीं हो पा रही है। अकादमी में प्राप्त होने वाले अधिकांश पत्र उर्दू भाषा में होते हैं, जिन्हें समझना और उन पर कार्रवाई करना मुश्किल हो गया है। इसके अलावा, अकादमी की उर्दू लाइब्रेरी और पुस्तकों की देखरेख भी नहीं हो पा रही है।
उन्होंने बताया कि अकादमी में प्रशासनिक कार्य पहले उर्दू में किए जाते थे, जिसके लिए उर्दू भाषा के जानकार कर्मचारियों की आवश्यकता है। लेकिन वर्तमान में वहां ऐसा कर्मचारी नियुक्त है, जो उर्दू के अक्षर तक नहीं जानता। अकादमी के सचिव का प्रभार जवाहर कला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक अलका मीणा और प्रशासक का प्रभार जयपुर संभागीय आयुक्त पूनम के पास है। दोनों अधिकारी अपनी व्यस्तता के कारण अकादमी को समय नहीं दे पा रहे हैं।
मोहम्मद नाज़िमुद्दीन ने कहा कि सरकार की इस अनदेखी से उर्दू प्रेमियों में नाराज़गी और मायूसी है। केवल एक कर्मचारी के भरोसे अकादमी का संचालन इसके औचित्य पर सवाल उठाता है। उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल प्रभाव से उर्दू भाषा के जानकार कर्मचारियों की नियुक्ति करे और अकादमी के चेयरमैन व सदस्यों के रूप में उर्दू विद्वानों को मनोनीत करे, ताकि अकादमी का कार्य सुचारू रूप से चल सके।