जिग्नेश भाई, दिल्ली का युवा Oxford नहीं, अयोध्या जाना चाहता है। आप ने आतिशी जी के चुनाव प्रचार में शामिल होकर दिल्ली के युवाओं की आस्था को अयोध्या से Oxford शिफ़्ट करना चाही लेकिन चुनाव परिणाम ने बता दिया कि दिल्ली का युवा Oxford नहीं जाएगा। अयोध्या उसकी आस्था है और आस्था का स्थान Oxford नहीं ले सकता।
दिल्ली के युवाओं में अयोध्या की आस्था अगर नहीं भी रही होगी तो आप के बयान ने उनके अंदर आस्था पैदा कर दिया और जिनके अंदर पहले से अयोध्या की आस्था थी उन्हें आप के बयान ने और उग्र रूप प्रदान कर दिया। जिसके बाद आप तो बड़गाम चले गए मगर आप के बयान का ख़ामियाज़ा आतिशी जी को चुनाव परिणाम में हार के रूप में झेलना पड़ा।
शिक्षा का महत्व बताने के चक्कर में लोगों की धर्मिकता पर प्रहार करना क्या सही है? क्या ऐसा कहने से उन युवाओं की धार्मिकता को सांप्रदायिकता का रूप देने में आप सहायक नहीं हुए?
अरे भई, अगर कोई Oxford से भी पढ़ कर आया है और उसकी आस्था अयोध्या है तो इस स्थिति में आप क्या कहेंगे? आप ने Oxford और अयोध्या में एक चुनने को कहा था तो दिल्ली वालों ने चुन कर बता दिया। आप राजनीतिक टूरिज़्म कर के चले जाते इसमें क्या बुरा था? अयोध्या जाने के लिए मना कर के आप ने तो अयोध्या जाने को ललक पैदा कर दी दिल्ली के युवाओं में।
-मसीहुज़्ज़मा अंसारी