कितना सुहाना है जनवरी का मौसम जैसे तपती धूप में चन्द फुहारे!

जनवरी
बारिश हो और फिर सफ़र भी तो ऐसा जैसे कि बरसो की दुआएं क़ुबूल हुई हो, और वो भी जनवरी की बारिश का मौसम रूमानी ज़ज़्बात ,शीरी फरहाद का मौसम।
खनक भरी ये हवाओ की हँसी और ठंडी फुहारों का ज़मीन को भिगो देना, ठिठुरन से कांपते हाथ -पैर लेकिन मज़ा जनवरी की इन हवाओं को महसूस करने के अलावा और कहाँ मिल सकता है?
बादलो के आगोश में लिपटा सूरज जैसे कि कोहरे से डर कर घबरा गया हो।
जब भी जनवरी से ज़िन्दगी मिलती है एक सुकून भरा एहसास होता है, ना फ़िज़ा में आँधी ना धूल ना कोई आसमाँ से गरजने की आवाज़ें।
सब कुछ बस धीमा चलता जाता है जैसे आहिस्ता आहिस्ता से टूटते दरख़्तों के पुराने पत्ते जो कुछ नया लाने की ज़िद में होते है,
धीमी धीमी चलती सर्द हवाएं जो एहसास करवाती है कि बेमाने बेरुख तेज़ चलना ना जाने कितने आशियाने उजाड़ देती है बस हमेशा चाहे धीमे चलो लेकिन रोको नही खुद को,
और मूसलाधार नही बल्कि रिमझिम फुहारें टोकती है कि मोहब्बत की बूँदे हमेशा बिखेरते रहो..।

आह ! कितना सुहाना है जनवरी का मौसम जैसे तपती धूप में चन्द फुहारे…!!!!!

-खान शाहीन

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