महिलाओं को कोरोना महामारी की लड़ाई में तमाम परेशानियों से लड़ते हुए शर्मसार भी होना पड़ रहा है।
वैसे तो आइसोलेशन-क्वारिनटाइन सेन्टर में रहना सभी के लिए परेशानी का सबब है, लेकिन औरतों को यहां परेशानी के साथ बेहद शर्मिन्दगी भी उठानी पड़ रही है।
जिन महिलाओं को गर्भवती रहते हुए क्वारेंटीन सेंटर में रहना पड़ा उन की तकलीफ को बयां कर पाना बहुत मुश्किल है।
शकीला जो की कल्यानजी का रास्ता जयपुर की रहने वाली हैं और गुड्डी जो कि नाहरी का नाका जयपुर की रहने वाली हैं।
इन दोनों को ही क्वारिनटाईन के लिए प्रताप नगर जयपुर स्थित कल्पना चावला गर्ल्स होस्टल में रखा गया था। वंहा और भी बहोत से लोग इनके साथ क्वारिनटाईन में थे।
शकीला और गुड्डी ने बताया कि उस क्वारंटाइन सेंटर पर सिर्फ पुरुष कर्मचारियों को ही रखा गया है इसलिए महावारी के दिनों में सैनिटरी पेड मांगने में बड़ी शर्म महसूस होती थी। यही नहीं एक बार में सिर्फ एक ही पैड दिया जाता था इसलिए बार बार मांगने जाने में भी बड़ी परेशानी होती थी।
प्रशासन के मुताबिक क्वारिनटाईन में रह रहे एक व्यक्ति का एक दिन का खर्च 2400 रुपये बताया गया था, जबकि जो नाश्ता-खाना इन लोगों को मिला उसके खर्च की बात करें तो प्रति व्यक्ति 150 रूपये ही खर्च हो रहा था।
खाने-पिने की समस्या से तो इन्सान लड़ सकता है, कम-ज़्यादा में गुजारा भी कर सकता है। लेकिन उन महिलाओं के दिल पर क्या बीत रही होगी जब अनजान लोगों के बीच रहते हुए माहवारी के समय पुरूष कर्मचारियों से बार-बार पैड मांगने पड़ रहे थे। क्योंकि सेंटर पर एक बार में सिर्फ एक ही सेनिटरी पैड दिया जा रहा था।
अगर उन्हें उनकी ज़रूरत का ये सामान एक बार में ही दे दिया जाए तो शायद उन्हें बार-बार शर्मिन्दा ना होना पड़े।
इस सुविधा को सहज बनाने के लिए प्रशासन को चाहिए कि महिलाओं के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए महिला-स्टाफ ही रखा जाना चाहिए ना की पुरूष.
महिलाओं की इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन को सजगता दिखानी चाहिए।
– निज़ाम कुरैशी, जयपुर
Nizaam Qureshi
(फ़ोटो प्रतीकात्मक है)