जयपुर सेंट्रल जेल में कैदियों के मानवाधिकार का उल्लंघन,हिंसा की स्वतंत्र जांच हो!

जयपुर केन्द्रीय कारागाह में उच्च सुरक्षा कक्ष में लगातार हो रही मानवाधिकार उल्लंघन व हिंसा स्वतंत्र जांच हो

31 मार्च 2019 को विभिन्न मानवाधिकार संगठनों के प्रतिनिधि, अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ताओं की बैठक में जयपुर केन्द्रीय कारगाह में कैदियों के साथ हुई मारपीट की कड़ी निन्दा की गई। सभी का मानना था कि जयपुर के उच्च सुरक्षा जेल में बहुत गडबडीया देखनी को आ रही है और किन्हीं कैदियों को निशाना बना कर हिरासत में हिंसा की जा रही है।

20 फरवरी 2019 को पाकिस्तानी आजीवन कारावास कैदी शाकीर उल्लाह उर्फ मोहम्मद हनीफ़ की कुछ सहकैदियों द्वारा हत्या कर दी गई। 40 दिन के भीतर ही 30 मार्च 2019 को 10 साल से शांतिपूर्वक रह रहे कुछ कैदियों की जमकर पिटाई हुई जिसमें कुछ कैदी घायल हुये और उन्हें जेल अस्पताल में भर्ती भी करवाया गया।

जिन कैदियों के साथ मारपीट हुई, उन्होंने 28 और 29 मार्च को भूख हडताल कर अपनी दो जायज मांग, की उच्च सुरक्षा जेल कक्ष में शिकायत पेटी लगाई जाये व जेल मैन्यूवल में दिया गया विजिटरस कमेटी व एक जज को भेजा जाये। 29 मार्च 2019 को उन्होंने यह आवेदन जयपुर बम धमाके को लेकर बनी विशेष अदालत में अपना आवेदन इन मांगों सहित दिया था। जिसमें उनके साथ जेल कर्मचारी द्वारा मारपीट करने की धमकियों के बारे में भी लिखा था। अतिरिक्त जिला जज ने जेल को इस सम्बन्ध में नोटिस भेज जवाब मांगा।

कल दिनांक 30 मार्च 2019 को उन्होंने जज साहब को पूनः आवेदन दिया दोहराते हुये कि वे कार्यवाही चीफ कारापाल कमलेश शर्मा एवं गार्ड रमेश चन्द मीणा जिन्होंने जान से मारने की धमकी दी है जिनके खिलाफ उचित कार्यवाही की जाये। विशेष अदालत के जज साहब ने पुनः जेल अधिकारी को नोटिस भेज जवाब मांगा हैं।

जब यह कैदी वापस जेल पहुंचे तो सुबह से उच्च सुरक्षा जेल कक्ष में कैदियों और कर्मचारियों के बीच चल रही तनातनी और हिंसा का अब निशाना अब यह 4 कैदी बने है। जिससे कुछ कैदी घायल हो गये।

मानवाधिकार संगठनों की मांग :

· तुरन्त एक विजिटर कमेटी स्वतंत्र लोगो की गठित की जाये जिससे 30 मार्च को हुये हादसे व उसकी पृष्ठ भूमि की जांच हो जाये।

· चीफ कारापाल कमलेश शर्मा एवं गार्ड रमेश चन्द मीणा को निलम्बित कर सख्त कार्यवाही की जाये। जो मारपीट हुई उसके विरूद्ध में कैदियों को एफ.आई.आर. दर्ज करने का मौका दिया जाये।

· जो घायल कैदी हैं उन्हें सवाई मानसिंह अस्पताल में दिखाया जाये।

· मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट को तुरन्त दौरा करना चाहिए।

· राजस्थान न्यायालय जयपुर बैंच के न्यायाधिश के द्वारा जेल का दौरा किया जाये।

· इन सभी कैदियों के रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत दी जाये ना कि उन्हें इंकार किया जाये जो कि 30 मार्च 2019 से किया जा रहा है।

बैठक में कैदियों के वकील पैकर फारूख (प्रदेशाध्यक्ष,ए.पी.सी.आर.), पी.यू.सी.एल. की कविता श्रीवास्तव, जमाते इस्लामी हिन्द के सचिव मोहम्मद नाजीमुद्दीन, डॉ. मोहम्मद इकबाल सीद्दीकी, एपीसीआर के एडवोकेट कलीम, मुज़म्मिल सहित 15 लोगों ने भाग लिया।

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