“क्या सचिन पायलट नहीं चाहते की लोकसभा चुनाव जीतें वैभव गहलोत!”


राजस्थान में लोकसभा चुनाव का प्रचार अपने उफान पर है!सभी राजनैतिक दल अपने अपने तरीक़े से मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं!

इस बार जोधपुर लोकसभा सीट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं.

उनके सामने केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता गजेंद्र सिंह शेखावत हैं. कुछ दिनों पहले गजेन्द्र सिंह शेखावत अधिकारियों को धमकी देते हुए विवादों में आगए थे!

वैभव गहलोत की पहले जालौर सिरोही से चुनाव लड़ने की आशंकाएं जतायी जा रही थी.लेकिन राजनैतिक चालों में जादूगर माने जाने वाले अशोक गहलोत ने पुत्र को जोधपुर से चुनाव लड़वाया!

कुछ दिनों पहले प्रदेश के राजनैतिक बाज़ारों में इस बात की चर्चा थी कि सचिन पायलट नहीं चाहते कि वैभव गहलोत चुनाव जीतें!

चुनावों के वक़्त ऐसी चर्चाएँ हर चाय चौपाटी पर सुनने को मिल जाती हैं!

इसके पीछे का आधार यह है की 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में जब नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए और कांग्रेस ने सरकार बनायी तब मुख्यमंत्री के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच “ख़ामोश जंग” हुई!

चुनावी नतीजे आने के बाद चले तीन दिवसीय राजनीतिक घमासान में अशोक गहलोत ने जीत पाई और वो राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बन गए!

वहीं 5 साल से राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का भार संभाल रहे सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया !

लोगों का कहना है कि इसी का बदला सचिन पायलेट अशोक गहलोत से लेना चाहते हैं और उनके बीच तभी से दूरियां है!

जब मीडिया में ऐसी ख़बरें आयी तब सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने सार्वजनिक स्थानों पर ख़ुद को क़रीब दिखाने की कोशिश की!

पहले तो सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को बैठाकर कार चलायी और दोनों में नजदीकियां होने का भरोसा दिया!

उसके बाद कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में हुई प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में सचिन पायलट ने कहा कि गहलोत जी मैं आप से दूर नहीं हूँ इसका तुरंत जवाब देते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि ” म्हां भी थाँसू दूर कोनी”.


अब जब यह चर्चाएँ आम हैं कि सचिन पायलेट वैभव गहलोत को हराना चाहते हैं तब भी सचिन पायलट ने आगे आकर इन चर्चाओं पर विराम लगा दिया !

जोधपुर में अशोक गहलोत के साथ मंच साझा करते हुए वे गहलोत के समर्थन में हुई सभा में सचिन पायलट ने कहा कि मैं दिल्ली में वैभव गहलोत की जीत की ज़मानत देकर आया हूँ. आगे आगे देखते हैं राजनीति किन किन चालों से होकर गुज़रती है.

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