क्या कारण है कि #PMCaresFund से संबंधित जानकारी देने से मना कर रहा है प्रधानमंत्री कार्यालय और एसबीआई?
किस आधार पर कोई ये कह सकता है कि “पीएम केयर्स फंड” किसी का निजी खाता है या “पब्लिक ऑथोरिटी” नहीं है?
28 मार्च को “पीएम केयर्स फंड” बनाने के दो महीने बाद भी इससे संबंधित जानकारियों को इतना गोपनीय क्यों रखा गया है?
अगर यही पैसा आज नागरिकों के पास, उद्योग, एनजीओ, संगठनों, पंचायतों या राज्य सरकारों के पास होता तो लोगों को कुछ मदद मिलती.. लेकिन इस कठिन समय में देशभर से पैसे जुटाकर एक जगह क्यों दबा लिया गया?
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा “पीएम केयर्स” के बारे में जानकारी देने से मना किए जाने के बाद अब भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी इस संबंध में कोई सूचना देने से इनकार कर दिया है।
मीडिया पोर्टल ‘द वायर’ की रिपोर्ट के अनुसार एसबीआई ने दलील दी है कि ये सूचना साझा नहीं की जा सकती क्योंकि यह निजी जानकारी है। पूर्व सूचना आयुक्तों ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा है कि ये सर्वोच्च न्यायालय के आदेश एवं आरटीआई कानून का उल्लंघन है।
कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के नाम पर 28 मार्च को “पीएम केयर्स फंड” नामक एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया गया था। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष पीएम नरेंद्र मोदी और सदस्य के तौर पर अमित शाह, राजनाथ सिंह और निर्मला सीतारमण हैं।
पीएम केयर्स फंड में अनुदान प्राप्त करने के लिए एसबीआई की नई दिल्ली शाखा में एक बैंक अकाउंट खोला गया। लेकिन जिस खाते को लेकर आज सबसे ज़्यादा पारदर्शिता होनी चाहिए थी, उसमें संदिग्ध ढंग से उच्च स्तर की गोपनीयता बरती जा रही है।
हज़ारों करोड़ इक्कट्ठा कर लेने के बाद भी मोदी सरकार ने बताया नहीं है कि पीएम केयर्स फंड में कुल कितनी राशि जमा हुई और कितने खर्च हुए। और तो और, पीएमओ ने यहाँ तक कह दिया कि ये जानकारी नहीं दी जा सकती क्योंकि आरटीआई कानून के अनुसार “पीएम केयर्स फंड” कोई पब्लिक ऑथोरिटी है ही नहीं। एसबीआई ने भी पीएम केयर्स से संबंधित जानकारी को “निजी” बताया है।
पूरा देश जानता है कि इस कठिन कोरोना काल में कोई एक चीज़ जो सबसे ज़्यादा जनहित की है तो वो है “पीएम केयर्स फंड” का पैसा। तो जिस खाते में ये पैसा जमा है वो भला निजी कैसे हो गया? इससे पहले पीएम केयर्स के ऑडिट को लेकर भी अलग तरह के सवाल उठ चुके हैं।
• “प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष” होने के बावजूद इस नए फंड को बनाए हुए दो महीने से ज़्यादा बीत गए। आखिर किस आधार पर सरकार ने जनहित की यह जानकारी अब तक गोपनीय रखा हुआ है?
• क्या ये सवाल वाजिब नहीं कि ऐसे मुश्किल समय में देश की जनता से पैसे दबाकर क्यों बैठ गए हैं प्रधानमंत्री? अगर यही पैसा आज नागरिकों के पास, या उद्योग, एनजीओ, संगठनों, पंचायतों या फिर राज्य सरकारों के पास भी होता तो लोगों को कुछ मदद मिलती..
-अनुपम