नई दिल्ली | इंडियन फ्रेंड्स फॉर पैलेस्टाइन फ़ोरम के बैनर तले इज़राइल द्वारा फिलिस्तीनी नागरिकों पर हमले के विरोध में बुधवार को एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई जिसमें देशभर से सामाजिक कार्यकर्ताओं, धर्मगुरुओं, नेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों ने हिस्सा लिया. इसमें सभी वक्ताओं ने एक सुर में इजरायल द्वारा निर्दोष फिलिस्तीनियों के नरसंहार की कड़ी निंदा की और साथ ही संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन पर भारत के रुख की सराहना भी की.
इस प्रेस वार्ता में फिलीस्तीन मुद्दे के साथ एकजुटता दिखाते हुए एक संयुक्त बयान भी जारी किया गया.
इस ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए, पूर्व सांसद और अल कुद्स (जेरूसलम) के लिए सांसदों की कार्यकारी समिति के सदस्य के सी त्यागी ने कहा कि, “हमें इस मुद्दे को धार्मिक नहीं बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से देखना चाहिए. यरुशलम में मौजूदा संघर्ष और फिलीस्तीनी विरोध इजरायल की आक्रामक विस्तारवादी नीतियों और जमीन पर कार्रवाई के कारण हैं.”
त्यागी ने कहा कि, “मौजूदा अशांति तब भड़क उठी जब इजराइली सरकार ने सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों का उल्लंघन करते हुए शेख जर्राह और अल-अक्सा मस्जिद के पास के अन्य इलाकों में रहने वाले फिलिस्तीनियों को जबरन बेदखल करने के लिए एक अभियान शुरू किया.”
उन्होंने कहा कि, “हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के प्रतिनिधि श्री टी.एस. तिरुमूर्ति की इस बयान का स्वागत करते हैं कि भारत फ़िलिस्तीन के न्याय का पूरा समर्थन करता है.”
कार्यक्रम के प्रमुख आयोजक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के कार्यवाहक महासचिव – मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, “अल-अक्सा मस्जिद दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक पवित्र स्थान है, और उनकी धार्मिक भावनाएं उससे जुड़ी हुई हैं. अल कुद्स (यरूशलम) शहर दुनिया के तीन प्रमुख धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है. इसलिए, इज़राइल के पास शहर और उसकी संरचनाओं की स्थिति को बदलने का कोई अधिकार नहीं है.”
जमाअत इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्ला हुसैनी ने विश्व समुदाय से अपील करते हुए कहा, “दुनिया के सभी न्यायप्रिय देशों को न केवल इज़राइल की इस आक्रामकता की निंदा करनी चाहिए, बल्कि उन सभी उपायों और कार्रवाई पर भी विचार करना चाहिए जो क़ानूनों को न मानने वाले राष्ट्रों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र का चार्टर उन्हें अधिकार देता है.”
जमाअत प्रमुख हुसैनी ने कहा, “विश्व समुदाय को इज़राइल पर दबाव बनाना चाहिए और उसके खिलाफ सख्त आर्थिक और कूटनीतिक प्रतिबंध लगाने चाहिए. इज़राइल के ज़ायनिस्ट शासकों और सैनिकों को गाज़ा और अन्य फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में उनके अत्याचारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए.”
पूर्व सांसद और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, “अधिकांश फिलीस्तीनी प्रतिरोध आंदोलनों का मुख्य कारण इज़राइल द्वारा गाजा पर अकारण हमले, फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ अत्याचार, और मध्य पूर्व में इसकी गुप्त और खुली राजनयिक गतिविधियाँ हैं.”
महमूद मदनी ने कहा कि, “इज़राइल हमेशा ही संयुक्त राष्ट्र के कई प्रस्तावों और मानवाधिकारों क़ानूनों का उल्लंघन करता रहा है. द्विपक्षीय समझौतों में भी अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे हटने का इज़राइल का एक इतिहास रहा है. इज़राइली राजनीतिक वर्ग और उसके शासक समय-समय पर अपनी स्थानीय राजनीतिक समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए अपनी आक्रामकता बढ़ाते रहते हैं.”
मशहूर इस्लामिक विद्वान मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि, “इन जघन्य अपराधों को दुनिया से छुपाया जा रहा है और एकतरफा फिलिस्तीनी प्रतिरोध अभियानों को गलत तरीके से प्रचारित करने का प्रयास किया जा रहा है.”
उन्होंने कहा, “जिस तरह से पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है और दुनिया को सच्चाई और तथ्यों से अनजान रखने के लिए उनके कार्यालयों को निशाना बनाया जा रहा है, यह पूरी आज़ाद दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है. मैं अरब जगत और सभी न्यायप्रिय देशों से इस संकट को जल्द से जल्द सुलझाने का आह्वान करता हूं.”
विनय कुमार, सेक्रेटरी जनरल- प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने अपनी बात रखते हुए कहा, “गाज़ा में मीडिया संस्थानों पर इजराइली हमले की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. किसी भी मीडिया संस्थान को इस प्रकार से निशाना बनाना किसी भी आधार पर सही नहीं ठहराया जा सकता.”
महाऋषि भृगुपीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील जी महाराज, रष्ट्रीय संयोजक – भारतीय सर्व धर्म संसद ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, “कहीं भी किसी समुदाय पर अत्याचार हो हमें बिना धर्म देखे उसका विरोध करना चाहिए. निर्दोष फिलिस्तीनी जनता पर हमला निंदनीय है.”
ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव डॉ. मंजूर आलम ने कहा, “इस समस्या का तत्काल समाधान अल-कुद्स और अन्य इजराइली कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के प्रभुत्व को समाप्त करना है. साथ ही इजरायल को अपने सभी क्रूर और आक्रामक इरादों को रोकने के लिए मजबूर करना है. संयुक्त राष्ट्र को इजराइल को रोकने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए. इजरायल की कार्रवाई अवैध है, यह सभी अंतरराष्ट्रीय संधियों के खिलाफ और पूरी दुनिया के खिलाफ युद्ध अपराधों के बराबर है.”
दारुल उलूम वक्फ देवबंद के रेक्टर मौलाना मुहम्मद सुफियान कासमी ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि, “हम इस बैनर द्वारा उठाए गए क़दम का समर्थन करते हैं और आशा व्यक्त करते हैं कि फिलिस्तीनियों को न्याय मिलेगा और वह इजराइल के अवैध कब्जे से मुक्त हो जाएंगे.
ऑनलाइन प्रेस मीट को संबोधित करने वाले अन्य लोगों में महर्षि गोस्वामी सुशील जी महाराज, डॉ. एम डी. थॉमस, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के महासचिव श्री विनय कुमार और वरिष्ठ पत्रकार श्री संतोष भारतीय शामिल हैं.
फिलिस्तीन के लिए न्याय की मांग करने वाले इस संयुक्त मंच “इंडियन फ्रेंड्स फॉर पैलेस्टाइन फ़ोरम” के मीडिया इन्चार्च सैयद तनवीर अहमद ने बताया कि सभी के द्वारा एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया है जिसमें मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, एक्टिंग जनरल सेक्रेट्री- आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (कन्वेनर), के सी त्यागी (मेम्बर ऑफ एग्जीक्यूटिव कमेटी ऑफ पार्लियामेंटेरियंस फॉर अल-क़ुद्स), महाऋषि भृगुपीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील जी महाराज (राष्ट्रीय संयोजक – भारतीय सर्व धर्म संसद), सय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी (राष्ट्रीय अध्यक्ष- जमाअत ए इस्लामी हिन्द), विनय कुमार (सेक्रेटरी जनरल- प्रेस क्लब ऑफ इंडियाा), संतोष भारतीय (सीनियर जर्नलिस्ट एंड कमेंटेटर), मौलाना महमूद मदनी (जनरल सेक्रेट्री -जमीअत उलमा ए हिन्द), डॉक्टर एम डी थॉमस (फाउंडर डायरेक्टर- इंस्टीट्यूट ऑफ हार्मोनी एंड पीस स्टडीज़, नई दिल्ली), मौलाना खलील उर रहमान सज्जाद नोमानी (डायरेक्टर –इमाम शाह वलीउल्लाह इंस्टिट्यूट ), डॉ. मंज़ूर आलम (जनरल सेक्रेट्री – आल इंडिया मिल्ली कौंसिल), मौलाना मुहम्मद सुफियान कासमी (मुहतमिम -दारुल उलूम देवबंद (वक्फ)) ने अपने हस्ताक्षर किए हैं.