किसी ईमानदार नौकरशाह को उसके काम के बदौलत वाहवाही, प्रमोशन की खबरें जितना नहीं सुनी गई उससे ज्यादा आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के तबादलों की चर्चा होती है। तबादलों का अर्द्धशतक लगाने वाले अशोक खेमका का एक बार फिर तबादला हुआ है।
हरियाणा सरकार ने बीते बुधवार को 14 अधिकारियों के तबादलों के आदेश जारी किए, जिनमें 1991 बैच के नौकरशाह अशोक खेमका शामिल हैं। नौकरी पर आने के बाद यह खेमका का 53वां तबादला है।
खेमका को अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय विभागों के प्रमुख सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। इससे पहले वह प्रमुख सचिव (विज्ञान और प्रौद्योगिकी) के रूप में तैनात थे, जिसके लिए उन्हें मार्च में ही भेजा गया था। इस बार उनका तबादला आठ महीने के भीतर हुआ है।
मालूम हो कि 2014 में वर्तमान भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद से खेमका का ताजा मिलाकर 7 बार तबादला हो चुका है। खेमका ने ट्विटर के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा कि, “एक बार फिर मुझे मेरी ईमानदारी का ईनाम जलालत के रूप में मिला है।”
फिर तबादला। लौट कर फिर वहीं।
कल संविधान दिवस मनाया गया। आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेश एवं नियमों को एक बार और तोड़ा गया। कुछ प्रसन्न होंगे।
अंतिम ठिकाने जो लगा। ईमानदारी का ईनाम जलालत।— Ashok Khemka (@AshokKhemka_IAS) November 27, 2019
खेमका पहली बार खबरों में 2012 में आए थे जब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की फर्म और रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ से जुड़े एक भूमि सौदे को रद्द कर दिया था।
हरियाणा में कांग्रेस शासित सरकार ने खेमका के खिलाफ इस सौदे को गलत तरीके से रद्द करने के लिए आरोप पत्र दायर किया था लेकिन 2014 में राज्य की सत्ता में आने पर भाजपा सरकार ने चार्ज शीट रद्द कर दिया।