बगैर CAA ही गैर मुस्लिम शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता, गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना


केंद्र सरकार ने 28 मई को एक अधिसूचना (गैजेट नोटिफिकेशन) जारी कर अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई और पारसी धर्म के ऐसे लोगों को जो पिछले कुछ समय से भारत में रह रहे हैं उन्हें भारत की नागरिकता का आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया गया है. इस नोटिफिकेशन में भारत के कुछ खास जिलों को ही शामिल किया गया है जिनमें रहने वाले इन तीन देशों से आए हुए नागरिक भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.

यह हैं वो जिले जिनके जिला कलेक्टर को धारा 5 (भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण के लिए या धारा 6 के तहत देशीयकरण प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए) के तहत केंद्र सरकार की शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार दिया गया है –
(a) गुजरात राज्य में मोरबी, राजकोट, पाटन और वडोदरा
(b) छत्तीसगढ़ राज्य में दुर्ग और बलौदा बाजार
(c) राजस्थान राज्य में जालोर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर और सिरोही
(d) हरियाणा राज्य में फरीदाबाद
(e) पंजाब राज्य में जालंधर

नागरिकता संशोधन अधिनियम दिसंबर 2019 जिसको की CAA भी कहा जाता है इसके अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के वो लोग जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए हैं उन्हें नागरिकता देने का प्रावधान है. नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत नियमों को अधिसूचित किया जाना अभी बाकी है. फरवरी में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित किया था कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत नियम बनाने का समय बढ़ा दिया गया है.

अभी जारी की गई अधिसूचना नागरिकता कानून 1955 की धारा 16 के तहत है जो केंद्र सरकार को किसी भी अधिकारी या प्राधिकरण को किसी भी शक्ति (धारा 10 और धारा 18 के अलावा) को सौंपने में सक्षम बनाती है. इस अधिसूचना में भी वही प्रावधान किए गए हैं जो की CAA में किए गए थे.

CAA के खिलाफ 2019 में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किए गए थे. दिल्ली के शाहीन बाग सहित पूरे देश में जगह जगह CAA के विरोध में महिलाओं ने कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया था. अब देश के कुछ जिलों के लिए यह अधिसूचना जारी होने से पूरे देश में CAA को लेकर फिर से एक नई बहस शुरू हो गई है.

 

जमाते इस्लामी हिंद राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने बताया कि हमारा CAA को लेकर जिस बात का विरोध था उस पर हम आज भी कायम हैं. CAA में सिर्फ मुसलमानों को छोड़कर बाकी सब धर्म के लोगों को नागरिकता देने की बात कही गई थी वही इस अधिसूचना में भी कही गई है. हम किसी को भी नागरिकता देने के खिलाफ़ नहीं है. हम चाहते हैं कि जिस किसी विस्थापित को भी भारत की नागरिकता दी जाए उसका आधार धर्म नहीं होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अभी पूरे देश में कोरोना महामारी फैली हुई है, चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है, अभी सरकार की प्राथमिकता यह होना चाहिए कि किस तरह से लोगों की जान बचाई जाए. ऐसे समय में इस तरह का आदेश लाकर सरकार अपनी नाकामी से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है. अभी इस तरह के आदेश की कोई जरूरत नहीं थी जिससे की CAA का मुद्दा फिर से देश में शुरू हो जाए.


 

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