देश की राजधानी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों में 55 लोगों की जान चली गई हज़ारों लोग बेघर हो गए और करोड़ों रुपये की दुकान है और घर जल गये!
दिल्ली में हुए दंगों के पीड़ितों की कई मार्मिक कहानियां अब निकल कर सामने आ रही है किसी का पूरा का पूरा घर जल गया तो किसी की बनी बनायी दुकानों में अब सिर्फ़ राख का ढेर है!
हालाँकि एक विशेष समुदाय पर किए गए इस सुनियोजित हमले के अब तक मुख्य आरोपी पकड़े नहीं गए हैं जिन्होंने इन हमलों के लिए भीड़ को तैयार किया उन्हें भड़काया!
दिल्ली से एक बहुत ही भयानक और दर्द भरी कहानी सामने आयी है ये कहानी है एक रिक्शा चालक की और उसके भाई की कि कैसे उसके भाई को उसी के घर में ज़िंदा जला दिया गया!
ये कहानी है अनवर कैसर की जो रिक्शा चलाता था। उन्मादी भीड़ आती है जय श्री राम के नारे लगाती है । उसको सिर्फ एक ईंट के बने कमरे से बाहर खींचती है और उसके सारे सामान में आग लगा कर उसे गोली मार कर उसी आग में फेंक देती है और फिर उसका रिक्शा भी उसके ऊपर फेंक देती है !
फिर भी वो निकलने की कोशिश करता है तो दुबारा गोली मार के आग में फेक देती है । ये उसके भाई सलीम की ज़ुबानी है जिसे उसके हिंदू पड़ोसी ने घर में छुपा लिया ।
सलीम बताते हैं की जब भीड़ वापस हुई तो पड़ोसी ने उन्हें भगवा गमछा दिया और कहीं और भाग जाने को कहा । दो दिनों बाद जब वो लौटे अपने घर तो उस राख में सिर्फ अपने भाई की कुछ हड्डियां ही पा पाए जिसको वो दफनाने की बात कर रहे हैं ।
सवाल ये है की आखिर जवाबदेही क्यों नहीं और अगर ऐसा करने के बाद आप अपने बच्चों के सामने जा कर सुकून महसूस करते हैं तो यकीन जानिए आपके बच्चे भी खून के प्यासे ही बनेंगे । नींद कैसे आती है इन लोगों को ।
भारत जैसे महान देश में आख़िर ऐसी कौन सी विचारधारा है ऐसा कौन सा उन्मादी विचार है जो एक भीड़ को क्रूर और वहशी जानवर में परिवर्तित कर रहा है ये सवाल इस समाज को ज़रूर करना होगा!