रेलवे में निजीकरण के खिलाफ DYFI ने किया विरोध प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन


केंद्र सरकार द्वारा जुलाई के शुरूआती दिनों में भारतीय रेलवे की तरफ से 109 रूटों पर ट्रेन चलाने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित गया था जिसके विरोध में आज राजधानी जयपुर में सीपीएम के युवा संगठन डी.वाई.एफ.आई. (डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया) की तरफ से गांधी नगर रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया गया।

इस दौरान भारत की जनवादी नौजवान सभा के नेता अशोक कस्वाँ ने बताया कि रेलवे के निजीकरण के खिलाफ रेलवे में तेजस सहित 109 यात्री रूटों की ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव रद्द करने के लिए आज हम यहां राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने आए हैं।

इसके अलावा हमारी यह मांग है कि कोरोना के नाम पर खत्म किए गए 50 प्रतिशत पदों को फिर से बहाल किया जावें एवं नई भर्तियों पर साल के लिए लगाई गई रोक खत्म कर खाली पदों पर नियुक्ति दी जाए।

मालूम हो कि निजीकरण के तहत रेलवे में निजी क्षेत्र से तीस हज़ार करोड़ रुपए निवेश होंगे, ये भारत के रेलवे नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों के संचालन में निजी क्षेत्र के निवेश का पहला प्रयास है।

वहीं प्रदर्शन को सम्बोधित करने पहुंचे भादरा विधायक बलवान पूनियां ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार एक-एक करके तमाम सरकार उपक्रमों को बेचने पर तुली हुई है, पहले बी.एस.एन.एल., भारत पेट्रोलियम, हवाई अड्डे सहित अनेक उपक्रम बेचे और रेलवे को बेचने का प्रस्ताव लिया है।

सरकार देश बेचना छोड़े, जनता के मुद्दों की बात करें देश में बेरोजगारों के लिए रोजगार नहीं है। राजस्थान में किसानों की फसल टिड्डियों से बर्बाद हो रही है, सरकार सरकारी उपक्रम बेचने के स्थान पर किसान, मजदूर नौजवान विद्यार्थियों पर ध्यान दें।

वहीं एक अन्य नेता ने कहा कि पिछले 2 सालों से प्रक्रियाधीन टेक्निकल नॉन टेक्निकल भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर योग्य अभ्यर्थियों को तुरन्त नियुक्ति दी जाए। इस दौरान यहां केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की गयी। प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम स्टेशन अधीक्षक गाँधी नगर को ज्ञापन सौंपा।

इस दौरान प्रदर्शन में एस.एफ.आई. के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष जाखड़, किसानसभा के डॉ. संजय माधव, नौजवान सभा के पूर्व राज्य सचिव लक्ष्मण सैन, निशान्त शर्मा, देवेन्द्र महरिया, सुभाष महला, अभिजीत पूनियां, रोहिताश सोलंकी, राजकुमार सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद थे।

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