जयपुर में जंगल उजाड़कर मॉल और होटल बनाने की तैयारी, विरोध में सड़कों पर उतरे लोग

जयपुर। गुलाबी नगरी के नाम से अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर जयपुर शहर के लोग इन दिनों पर्यावरण को बचाकर प्रकृति के नजदीक बने रहने के लिए न सिर्फ अनूठा संघर्ष कर रहे हैं, बल्कि सरकार और सिस्टम के खिलाफ मोर्चा भी खोले हुए हैं। खास बात यह है कि लोगों का यह संघर्ष अपने लिए नहीं, बल्कि ढाई हजार से अधिक पेड़ों को कटने से बचाने के लिए है।

सरकारी अमला जयपुर शहर में मॉल और होटल बनाने के लिए इन पेड़ों की आहुतियां देने की कवायद में जुटा हुआ हैं।इसके लिए बरसों से बसे बसाए जंगल को काट कर वहां कंक्रीट की इमारतें खड़ी करने की तैयारी है।दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों के आशियाने भी उजाड़े जा रहे हैं।राजस्थान इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन (रीको)ने लोगों के संघर्ष को कुचलने के लिए पेड़ो को काटकर मॉल और होटल के निर्माण की जगह ऊंची दीवारें खड़ी करा दी है और साथ ही पुलिस के डंडे व रसूख का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

रीको को दी गई जमीन

जयपुर शहर के बीचो-बीच एयरपोर्ट के नजदीक सीएम भजनलाल शर्मा के चुनाव क्षेत्र सांगानेर की जमीनों पर कुछ दशकों पहले तक खेती होती थी. यहां की जिस जमीन को लेकर कोहराम मचा हुआ है उसे तकरीबन चार दशक पहले सरकार ने अधिग्रहित कर रीको यानी राजस्थान इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन को दे दिया था।

रीको की तरफ से यहां फिनटेक पार्क का निर्माण शुरू कराया गया, लेकिन वह प्रोजेक्ट सफल नहीं हुआ. जमीन का कोई उपयोग नहीं होने से इस पर हजारों की संख्या में पेड़ उग आए और पूरा इलाका घने जंगलों में तब्दील हो गया. पशु पक्षियों ने यहां अपना आशियाना बना लिया. जंगल की वजह से एयरपोर्ट के आसपास के इलाके में लोगों को शुद्ध हवा मिलने लगी. यह इलाका डोल का बाड़ कहलाता है।

गहलोत सरकार में बीजेपी ने भी किया था विरोध

तकरीबन चार साल पहले अशोक गहलोत की अगुवाई वाली तत्कालीन सरकार ने जंगल के एक बड़े हिस्से पर कुछ प्रोजेक्ट्स का निर्माण कराने का फैसला किया. इसके तहत यहां कई काम कराए जाने थे. पेड़ों को काटकर पत्थरों के प्रोजेक्ट बनाए जाने को लेकर इलाके के लोगों ने विरोध किया तो तब की विपक्षी पार्टी बीजेपी उनके साथ आ गई.

बनने जा रहे ये प्रोजेक्ट्स

इस बीच राजस्थान में सरकार बदल गई. सीएम भजनलाल शर्मा की अगुवाई वाली नई सरकार ने डोल का बाड़ में चार प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला किया. इनमें मॉल और कुछ होटल के साथ ही फिनटेक पार्क का भारत मंडपम की तर्ज पर राजस्थान मंडपम का निर्माण कराया जाना था। काम की जिम्मेदारी सरकारी संस्था राजस्थान इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन यानी रीको को दी गई।

100 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है जंगल

इलाके के लोगों के मुताबिक डोल का बाड़ इलाके का जंगल तकरीबन 100 एकड़ क्षेत्रफल में है. यहां ढाई हजार से अधिक पेड़ लगे हुए हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो पर्यावरण और वनस्पति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं. इलाके के लोगों ने ही इन पेड़ों की जियो टैगिंग भी कराई। इसके साथ ही यहां तकरीबन 87 किस्म के जीव जंतुओं व पक्षियों ने भी अपना आशियाना बनाया। इनमें कई पक्षियों की प्रजाति तो माइग्रेटेड और दुर्लभ किस्म की थी।

पेड़ न काटने की गुहार लगा रहे लोग

मॉल और होटल के लिए जंगल को खत्म करने और पेड़ों को काटे जाने की जानकारी जब इलाके के लोगों को हुई तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया. रीको के लोग जब वहां काम करने के लिए पहुंचे तो लोगों ने एतराज जताया।जिन पेड़ों पर आरी चलनी शुरू हुई, लोग वहां अडिग हो गए। लोगों के जबरदस्त विरोध के चलते ना तो पेड़ों की कटाई हो पा रही थी और ना ही मॉल का काम शुरू हो पा रहा था। लोगों ने यह प्रस्ताव भी दिया कि अगर शॉपिंग मॉल और होटल बनाना बेहद जरूरी ही है तो उसे जंगल काट कर बनाने के बजाय आसपास के खाली पड़ी बंजर जमीनों पर बना लिया जाए।पेड़ों को काटकर पर्यावरण को कतई नुकसान न पहुंचा जाए।लोगों के विरोध और गुहार लगाने के सामने आए तमाम वीडियो खासे भावुक कर देने वाले हैं।

कहीं नहीं हो रही सुनवाई

इलाके के लोगों ने इसे लेकर सरकारी दफ्तरों से लेकर नेताओं और अफसरों के खूब चक्कर काटे. मदद और दखल देने की गुहार लगाई, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। बीजेपी के जो नेता पिछली सरकार के दौरान इस मुद्दे को जोर-जोर से उठा रहे थे, अपने राज में वह भी चुप्पी साध गए।लोगों के विरोध को देखते हुए सरकार ने भी सख्ती की।लोग अंदर जाकर विरोध ना कर सके, इसके लिए सबसे पहले उस इलाके की टिन शेड से ऊंची घेराबंदी कर दी गई, जहां मॉल का निर्माण शुरू हो रहा है।

इसके अलावा जंगल के बाहरी इलाके में कंटीले तार बांध दिए गए हैं।

टिन से घेरे गए कैंपस में अब अंदर जाने की इजाजत किसी को नहीं है। एबीपी न्यूज़ की टीम ने भी अंदर जाकर सच्चाई जानने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा गार्ड्स ने गेट खोलने से ही मना कर दिया. उसके बाद हमारी टीम पड़ोस की एक ऊंची बिल्डिंग पर चढ़ी, जहां अंदर का नजारा साफ तौर पर दिख रहा था।

विरोध करने वालों पर सख्ती कर रही पुलिस

हमने देखा कि घेराबंदी किए गए इलाके की आधी जगह पूरी तरह साफ हो गई है. वहां एक भी पेड़ नजर नहीं आ रहा है. कटे हुए पेड़ों के कुछ अवशेष जरूर नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही कई जेसीबी मशीनें भी काम करती हुई नज़र आईं। आसपास के लोग इकट्ठे होकर विरोध ना कर सके, इसके लिए वहां पुलिस का पहरा बिठा दिया गया है। तमाम पुलिसकर्मी सादे ड्रेस में तैनात रहते हैं और सवाल उठाने वालों के साथ बेहद सख्ती से पेश आते हैं।

पुलिस की सख्ती के चलते पिछले कई हफ्तों से लोग अब दूसरी जगहों पर इकट्ठे होकर प्रदर्शनन कर रहे हैं। उनका कहना है कि हम इस जंगल को खत्म कर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कतई नहीं होने देंगे और आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे।लोगों का आरोप है कि पुलिस उनके घर पहुंचती है और जेल भेजे जाने की धमकी देती है।

बोलने से बच रहे रीको के अधिकारी

इस बारे में हमने कई बार रीको यानी राजस्थान इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के जिम्मेदार अधिकारियों से बातचीत कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन कोई भी कुछ भी बोलने से साफ तौर पर बच रहा है। हमने चेयरमैन से लेकर एमडी और पीआरओ से लेकर प्रोजेक्ट मैनेजर समेत तमाम जिम्मेदार लोगों से संपर्क किया। आधे लोगों ने मिलने से ही मना कर दिया और आधे लोगों ने बोलने के लिए हमने फोन पर भी रीको का वर्जन जानना चाहा, लेकिन जिम्मेदार लोग टालमटोल कर चुप्पी ही साधे रहे।जिम्मेदार लोगों की यह चुप्पी इस बात का साफ इशारा है कि दाल में कुछ काला जरूर है और लोगों के आरोप सही हैं।

सड़कों पर उतरे लोग

बहरहाल डोल का बाड़ के जंगल को बचाने के लिए जयपुर के लोगों ने शहर में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन करने के साथ ही सोशल मीडिया पर भी मुहिम छेड़ रखी है।सोशल मीडिया पर उनकी यह मुहिम खासी चर्चा का सबब बनी हुई है।

(गिरिराज प्रसाद शर्मा स्वतंत्र पत्रकार की खास रिपोर्ट)

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