मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट तारा चन्द वर्मा ने बताया कि जयपुर जिले के गोविंदगढ़ में पुलिस ने ग़रीब दलित छात्र दीपक बलाई को अवैध तरीके से हिरासत में रख कर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया।
मामले की जानकारी मिलने पर ह्यूमन राईट्स लॉ नेटवर्क के राज्य समन्वयक एडवोकेट तारा चन्द वर्मा, ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की राज्य समन्वयक सुमन देवठिया, अधिकार सन्दर्भ केंद्र कार्यकर्ता रघु वीर सिंह की संयुक्त फैक्ट फाइंडिंग टीम ने ग्राम सिंगोंद कला, पुलिस थाना गोविंदगढ़ का दौरा कर पीड़ित परिवार से मामले की पूरी जानकारी ली।
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित परिवार ने टीम को बताया कि घटना के दिन दिनांक 13 फरवरी 2019 को पीड़ित दीपक बलाई अपने घर पर ही लेटा हुआ था, तभी 3 पुलिस वाले सादा वर्दी में गाड़ी लेकर आये और दीपक पर गांव के मंदिर से चांदी का छत्र व मूर्तियों को चोरी करने का आरोप लगाकर उसे उठाकर ले गए, रास्ते मे पुलिस ने दीपक से उसके छोटे भाई दशरथ को फोन करवाया और कहलवाया कि मेरा एक्सीडेंट हो गया है, पैर में फ्रेक्चर है, मुझे लेने आ जाना, इस सूचना पर दशरथ भी गोविंदगढ़ चला गया, वहाँ थाने के सामने खड़े पुलिस वालों ने उसे और उसके साथ गए 2 अन्य रिश्तेदारों को भी पकड़ लिया, परन्तु उन्हें तो शाम को ही छोड़ दिया इसके अलावा पुलिस वाले पीड़ित की विधवा माँ जमना देवी को भी पकड़ कर थाने लाये उसके साथ थाने में मौजूद महिला सिपाहियों ने मारपीट की और उसे वापिस घर छोड़ दिया, परन्तु दीपक और दशरथ को पूछताछ करके छोड़ देने के बहाने थाने पर ही बिठाए रखा।
थाने पर मौजूद पुलिसकर्मियों SHO मनीष शर्मा, SI भजनाराम, ASI विक्रम सिंह, कॉन्स्टेबल अनिल गोदारा, गोपाल व अन्य ने दिनांक 13 फरवरी से 16 फरवरी तक पीड़ित दीपक व उसके भाई दशरथ के साथ गम्भीर तरीके से हाथ पांव बांधकर डंडे व पटटे से मारपीट की, पुलिस ने पीड़ित दीपक को इतना बेरहमी से मारा कि उसके दोनो कूल्हे की चमड़ी और मांस उतर गया और घाव हो गया। पुलिस की मारपीट के कारण दीपक की तबीयत बिगड़ी हुई है, वह चलने, फिरने बैठने उठने पूरी तरह असमर्थ है। जयपुर के SMS के डॉक्टरों ने सर्जरी करने के लिए कहा है।
पीड़ित दीपक के भाई राजेन्द्र से बात करने पर उसने बताया कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह से मिलकर उन्होंने पूरे मामले से अवगत करवा दिया है।लेकिन अब तक पुलिस ने उनकी तरफ से एफआईआर दर्ज नहीं की है। 4 दिन तक पुलिस ने उनके भाई को थाने में रखकर बेरहमी से पिटाई की है और पूछने पर बताया कि शांति भंग के आरोप में धारा 151 में गिरफ्तार किया गया है। हमारी पुलिस प्रशासन से यही मांग है कि दोषी पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित किया जाए और हमें इंसाफ दिया जाए।
पुलिस का कहना है कि पीड़ित दीपक को जो भी चोट के निशान हैं वो किसी एक्सीडेंट की वजह से है पुलिस किसी भी तरह की मारपीट से इनकार कर रही है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता एडवोकेट तारा चंद वर्मा के अनुसार पुलिस झूठ बोलकर अपने लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है क्योंकि दीपक के शरीर पर और कंही भी चोट या एक्सीडेंट के निशान नहीं है,पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की है इसलिए उसके दोनों कुल्हों पर घाव हो गया है। दीपक को न्याय दिलवाने के लिए अगर पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती है तो वो इस मामले को अदालत में लेकर जाएंगे।
मानवाधिकार टीम की रिपोर्ट के अनुसार
फैक्ट फाइंडिंग टीम ने घटना के पीड़ितों व गवाहों से तथ्य जुटाए है, जिनसे यह प्रथम दृष्टया साबित होता है कि पुलिस ने पीड़ित परिवार की कमजोर स्थिति को देखते हुए, उन्हें जबरन चोरी के जुर्म में फ़साने के लिए यातनायें दी है, जो भारतीय सँविधान, पुलिस कानून, व अन्य कानूनों के तहत गम्भीर अपराध है। जिसके लिए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामला FIR दर्ज की जाए, उन्हें अविलम्ब बर्खास्त किया जाए।
पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए फैक्ट फाइंडिंग टीम इस मामले को पुलिस व सरकार के उच्च अधिकारियों, मानवाधिकार आयोग व सक्षम न्याय में उठाएगी।