साल 2002. जगह कोलकाता. भारत और इंग्लैंड के बीच वनडे मैच खेला जा रहा था.
सचिन बॉलिंग एंड से लेग स्टंप पर फुल लेंथ बॉल डालते हैं . सामने खड़ा लेफ़्ट हेंड़ बल्लेबाज बड़ी आसानी से पेड़्ल स्विप के जरिए इसे बॉउंड्री पार पहुंचा देता है.
और एक हाथ में बैट और एक में हेलमेट लेकर सिर आसमान की ओर करते हुए भगवान का शुक्रिया अदा करता है.
ये इस बल्लेबाज की दुसरी वनडे इंटरनेशनल सेंचुरी थी. और साथ ही पहला भारत दौरा.
बल्लेबाज का नाम मार्कस एडवर्ड ट्रेस्कोथिक .
कट टू.
फ़रवरी 2006. बड़ौदा. भारत और इंग्लैंड के बीच तीन टेस्ट और सात वनडे मैच होने थे .उससे पहले एक वार्मअप मैच होना था .
उसी रात ट्रेस्कोथिक अपने होटल के रूम में बड़बड़ाने लगें. ” घर पर क्या हो रहा है? क्या हेले (पत्नी) ठीक है? हे भगवान… क्या एली (बेटी) को कुछ हो गया है और उसे मेरी जरूरत पड़ी तो मैं वहां नहीं हूं .
हे भगवान… मुझे वहां होना चाहिए था , मैं यहां क्या कर रहा हूं? यह सब कब खत्म होगा? अब मैं इस कमरे में पागल हो रहा हूं? ”
हाल ही में हेले (पत्नी) साइक्लोजिकल डिप्रेशन से गुजर रही थी. साथ ही उनके फादर इन का अभी एक्सिडेंट हुआ था.
यह सब मिलाकर ट्रेस्कोथिक अंदर ऐसा ड़र बैठ गया. उनको लगा जब वो टूर ख़त्म करके जाएंगे तो बच्चे उन्हें भूल जाएंगे . इन सब के चलते ट्रेस्कोथिक बडौदा में वार्म अप मैच खेलते ही , दौरा बीच में ही छोड़कर घर चले गए.
यह उस वक्त हुआ जब वो अपने करियर के टॉप पर थे . अपने दौर के बेहतरीन ओपनर बल्लेबाजों में से एक थे. यह पहली बार नहीं हुआ था इससे पहले भी ट्रेस्कोथिक अपने करियर के शुरुआती दौर में भी घर से दूर होने पर ऐसा ही महसूस करते थे.
पर अबकी बार यह उनका आखिरी भारतीय दौरा साबित हुआ. साथ ही इसी साल उनका, देश के लिए खेलने का सफर भी खत्म हो गया.
ये सब बातें उनकी किताब ( मार्कस ट्रेस्कोथिक : कमिंग बैक टु मी) के हवाले से बाहर आई हैं.
जिसमें उन्होंने खुलकर उस दौर में हुए डिप्रेशन पर बात की है यह पहली दफा हुआ है जब किसी क्रिकेटर ने डिप्रेशन पर बात की.
ट्रेस्कोथिक ने इंग्लैंड के लिए 76 टेस्ट मैचों में 43.79 की औसत से 5,825 बनाए हैं .
-ब्रज मोहन