अलवर : पुलिसकर्मियों के पैरों से कुचल कर मरी बच्ची के परिवार से मिला CPIM का डेलीगेशन

अलवर। अलवर जिले के नौंगाव थाना क्षेत्र के रघुनाथगढ़ में एक माह की नवजात बच्ची के पुलिस कर्मियों के पैरों तले कुचल कर मरने की कथित घटना सामने आने पर घटना का जायजा लेने के लिए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की केन्द्रीय कमेटी की राजस्थान प्रभारी पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड बृंदा करात के नेतृत्व में 4 मार्च मंगलवार को एक प्रतिनिधि मंडल पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचा। प्रतिनिधि मंडल में उनके साथ राजस्थान राज्य सचिव कामरेड किशन पारीक, राज्य सचिव मंडल सदस्य कामरेड सुमित्रा चोपड़ा व अलवर जिला सचिव कामरेड रईसा भी पीड़ित परिवार से मिले।

पीड़ित परिवार से मिलने के बाद कामरेड बृंदा करात ने कहा कि यह बड़ी ही शर्मनाक बात है कि 2 मार्च को सुबह 6 बजे अलवर जिले के नौगांव थाना क्षेत्र में पुलिस कर्मियों ने पहले बिना कोई वारंट और सूचना के इमरान के घर की दीवार फांद कर दरवाजा पीटा, जिस पर इमरान की पत्नी और बच्ची की मां राजीदा द्वारा दरवाजा खोलने पर पुलिस कर्मियों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उसको धकेलते हुए पलंग पर सो रही एक माह की बच्ची को जूतों से कुचलते हुए इमरान को पकड़ लिया। पुलिसकर्मी, जूते पहने हुए, उस बिस्तर पर कूद गए जहां बच्ची सो रही थी, उन्होंने उसे जूतों से कुचल दिया, जिससे उसकी तत्काल मृत्यु हो गई।

उन्होंने कहा कि बिना वारंट और बिना महिला पुलिस के इमरान को टारगेट कर घर में घुसी पुलिस की मानसिकता कहीं न कहीं प्रदेश और देश के स्तर पर धर्म विशेष को लेकर फैलाई जा रही जहरीली बयानबाज़ी का ही फलित है। जिन पुलिस कर्मियों पर समाज की रक्षा का दायित्व है, वे सत्ता निर्मित परिवेश के वशीभूत ऐसे घिनौने कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं जो मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। यह राजस्थान की भजनलाल सरकार की चौतरफा नाकामियों की बानगी की साफ अभिव्यक्ति है।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने बिना वारंट या पूर्व सूचना के कार्रवाई की। बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाला दिहाड़ी मजदूर इमरान और उसके परिवार को इस अकल्पनीय त्रासदी का सामना करना पड़ा है। यह भयावह कृत्य गरीब और हाशिए पर रहने वाले परिवारों की असुरक्षा को उजागर करता है, जो भाजपा-राज्य सरकार द्वारा जारी मुस्लिम विरोधी एजेंडे के कारण और भी बढ़ गई है।

सीपीएम के प्रतिनिधि मंडल ने इस अमानवीय शर्मनाक घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है और निम्न चार मांगे सरकार से की हैं-

 * इस घटना में लिप्त सभी पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर उनको गिरफ्तार किया जाए और कठोर कार्रवाई की जाए।

 * नौंगाव थाना प्रभारी को तुरंत प्रभाव से निलंबित किया जाए।

 * यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में पुलिस द्वारा की जा रही इस तरह की गैर कानूनी गतिविधियों की पुनरावृत्ति न हो सके और घृणास्पद बर्बरता से पेश आने वाले लोगों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

 * पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए।

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