कोरोना राज्य सरकार की भामाशाह स्वास्थ्य योजना के लिस्ट में शामिल नही है,इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलती है.योजना के अंतर्गत परिवारों को कैशलेस स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी (प्राइवेट) अस्पतालों में भी ये सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं.
भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में प्रत्येक परिवार को प्रतिवर्ष सामान्य बीमारियों के लिए 30 हजार तथा गंभीर बीमारियों के लिए 3 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध कराया जाता है, अस्पताल में भर्ती के दौरान हुए खर्च के अलावा भर्ती से 7 दिन पहले से 15 दिन बाद तक का खर्च शामिल किया जाता है।
इस योजना में 1700 से ज़्यादा बीमारियों को शामिल किया गया है लेकिन कोरोना वायरस इसमें शामिल नही है।
कोविड के भामाशाह योजना के अंतर्गत नही आने का एक तर्क ये है कि योजना में बीमारियों को शामिल किए जाते समय कोरोना वायरस जैसी कोई बीमारी नही थी इसलिए ये इसकी लिस्ट में नही है।
अब समस्या जो देखने में आ रही है वो प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी से जुड़ी हुई है। सरकारी अस्पताल केयरलेस हैं.अब अगर आप प्राइवेट अस्पताल में अपने मरीज का उपचार चाहते हैं तो आपकी जेब में मोटी रकम होनी चाहिए वरना आप अपने हाल पर रहे यही बेहतर है।
निजी अनुभव के आधार पर ये बात लिख रहा हूँ
प्राइवेट अस्पताल में लाया गया मरीज जिसकी अभी कोविड जांच नही हुई है यदि पहले से किसी गम्भीर बीमारी से ग्रसित है उसकी जांच का पॉज़िटिव आना बहुत हद तक सम्भव हो जाता है क्योंकि अगर वो निगेटिव आया तो उसका इलाज भामाशाह के केटेगिरी के हिसाब से होगा और पॉजिटव आया तो इलाज इस केटेगिरी में नही होगा, अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि प्राइवेट अस्पताल क्या चाहते हैं।
प्राइवेट अस्पताल की मनमानी का अंदाज़ा इस एक उदाहरण से लगाइए –
मरीज को एडमिट करने से पहले 50 हज़ार एडवांस देना होगा.4 हज़ार प्रतिदिन का बेड चार्ज होगा. मेडिसिन का खर्चा अलग से होगा.एम्बुलेंस यदि 5 किलोमीटर भी ले जा रहे है तो 3 हज़ार का खर्चा होगा.अब आप अंदाजा लगाइए की क्या स्थिति है।
( गहलोत सरकार में भामाशाह स्वस्थ्य योजना को जन आधार कार्ड में परिवर्तित कर दिया गया है )