जयपुर में हुआ संविधान की रक्षा, सद्भावना और भाईचारा सम्मेलन

जयपुर। दलित,आदिवासी,अल्पसंख्यक,महिला दमन प्रतिरोध आंदोलन राजस्थान की और से रविवार को पिंकसिटी, प्रेस क्लब,जयपुर में “संविधान की रक्षा, सद्भावना और भाईचारा सम्मेलन” का आयोजन किया गया। साम्प्रदायिक ताकतों से संविधान की रक्षा करने, देश में सद्भावना और भाईचारे को बचाने के आह्वान के साथ इस राज्यस्तरीय सम्मेलन को आयोजित किया गया। सम्मेलन के विधिवत संचालन के लिए अध्यक्ष मंडल का गठन किया गया जिसमें सवाई सिंह, मोहम्मद नाजिमुद्दीन, सेवानिवृत्त न्यायाधीश टी.सी.राहुल, सबीहा परवीन, दुलीचंद मीणा, किशन मेघवाल शामिल थे।

सम्मेलन में दमन प्रतिरोध आन्दोलन राजस्थान में शामिल संगठनों के 17 ज़िलों से लगभग 250 चुनिंदा कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के समक्ष दमन प्रतिरोध आंदोलन राजस्थान की ओर से सम्मेलन का आधार पत्र रखा गया। सम्मेलन के समक्ष सम्मेलन के आधार-पत्र का राजनीतिक विचारधारात्मक भाग डॉ.संजय “माधव” ने प्रस्तुत किया । 

आधार-पत्र के राज्य में आंदोलन के विस्तार और भावी कार्यक्रम के हिस्से को मौसूफ अहमद द्वारा रखा गया ।

सम्मेलन के समक्ष प्रस्ताव रखने के बाद सम्मेलन के अध्यक्ष मंडल द्वारा आधार पत्र पर प्रतिनिधियों को चर्चा के लिये आमंत्रित किया गया और प्रतिनिधियों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में चर्चा के लिए प्रोत्साहित करते हुये अपने सुझावों से आधार-पत्र को समृद्ध करने का आह्वान किया गया।

बहस में राज्य के अलग-अलग जिलों और संगठनों से 35 प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लेते हुए आंदोलन की सोच, उसकी विचारधारा और संघर्षों को पूरे राज्य के सभी जिलों के गांव, कस्बों-मोहल्लों तक पहुंचाने का संकल्प व्यक्त किया।

दमन प्रतिरोध आंदोलन राजस्थान के विभिन्न जनसंगठनों, राजनीतिक दलों और व्यक्तियों द्वारा सम्मेलन के आधार-पत्र को विस्तारपूर्वक चर्चा परिचर्चा के बाद सर्व सम्मति से पारित किया गया।

सम्मेलन ने सर्वसम्मति से अगले तीन महीने के कार्यक्रमों की घोषणा की गई है। इस कार्यक्रम के अनुसार आगामी 31 जनवरी 2025 तक संभाग, जिला, तहसील गांव, कस्बों में दमन प्रतिरोध आंदोलन में शामिल संगठनों की सामूहिक बैठकें आयोजित करके संविधान की रक्षा सद्भावना और भाईचारा सम्मेलनों की तैयारी करने का निर्णय किया गया ‌।

31- मार्च तक जिला, तहसील स्तर तक संविधान की रक्षा, सद्भावना और भाईचारा सम्मेलनों का आयोजन करते हुए सद्भावना और भाईचारा कमेटियों के गठन का निर्णय लिया गया है।

जिला और तहसील सम्मेलनों के आयोजन के पश्चात शहर और गांव स्तर तक विभिन्न स्तरों तक सद्भावना और भाईचारा कमेटियों का गठन करने का निर्णय लिया गया।

सम्मेलन द्वारा सद्भावना और भाई-चारा की रक्षा के लिए और साम्प्रदायिक, संकीर्णतावादी विचारधारा और संगठनों के मुकाबले के नवीनतम प्रचार के तौर तरीकों (पर्चा वितरण, पोस्टर बनाना, सोशल मीडिया पर प्रचार और गलत पोस्टों को काउंटर करना) को इस्तेमाल करने का संकल्प लिया गया। जन जागरण अभियान और विचारधारात्मक अभियान के साथ साथ समाज को धर्म और जाति के आधार पर जनता को बांट कर लूटने और निहित स्वार्थों की राजनीति करने वालों के ख़िलाफ़ अंतिम सांस तक आन्दोलन करने का संकल्प लिया गया।

सम्मेलन में वंचित तबकों के दमन के ख़िलाफ़ संघर्षों को समाज के अन्य सभी संघर्षरत हिस्सों के आंदोलन के साथ एकताबद्ध करने का संकल्प लिया गया। ‌महिला, मज़दूर, छात्र, किसानों के आंदोलनों के साथ समन्वय बढ़ाने का निर्णय लिया गया। 

सम्मेलन ने सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये गये :

1.- भांकरोटा में भीषण अग्निकांड में मृतकों को पचास लाख रुपए का मुआवजा देने और परिवार में एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने और दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

2.- बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किया गया।

3.-छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर की जा रही हिंसा को रोकने के लिए प्रस्ताव।

4.- सभी राजनैतिक बंदियों को तुरंत बिना शर्त रिहा करने की मांग का प्रस्ताव। 

5.- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के गिरफ्तार छात्रों को तुरंत रिहा करने की मांग का प्रस्ताव।

6.- टोंक जिले के समरावता ग्राम के गिरफ्तार किये गये निर्दोष ग्रामीणों को रिहा करने का प्रस्ताव 

7.- मणिपुर में जारी हिंसा पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग का प्रस्ताव।

8.-पूजा स्थल कानून 1991 को कठोरता पूर्वक लागू करने।

आदि प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किये गये।

सम्मेलन में डॉ.बी.एम. शर्मा, सवाई सिंह, मोहम्मद नाजिमुद्दीन, कविता श्रीवास्तव, वकार अहमद, एडवोकेट सआदत अली, जे.पी. पूनिया, दीनबंधु जाटव, हमीद गौड़, मोहसिन खान, वारिस अली, हिमांशु कुमार, पी.एम. बौद्ध,, टी. सी. राहुल, दुलीचंद मीणा,  किशन मेघवाल, संतोष रोज़डा, महिपाल पूनिया, अजय कुमार, अनिल यादव, बसंत हरियाणा, राजेन्द्र कुम्भज, विक्रम नेहरा, पवन कुमार, अन्वी, संदीप जीनगर, आशीष सिंह, संघमित्रा,किशन लाल बैरवा, नरेंद्र आचार्य, बिलाल कुरेशी, शब्बीर कार्पेट, अजय कुमार, हरिशंकर मांडिया , उषा यादव आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।

सम्मेलन का संचालन मुजम्मिल रिज़वी, सुमित्रा चोपड़ा और नावेद मीनाक्षी ज़ैदी ने  किया।

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