सुनो….जंग हाँ जंग जंग जानवर बनाती है बस ख़ून ही बहाती है ये आग ही लगाती…
Category: साहित्य
कितना सुहाना है जनवरी का मौसम जैसे तपती धूप में चन्द फुहारे!
जनवरी बारिश हो और फिर सफ़र भी तो ऐसा जैसे कि बरसो की दुआएं क़ुबूल हुई…
राजस्थान यूनिवर्सिटी की छात्रा प्रियंका की कविता-एकांत
एकांत जाना चाहती हूं आज इन सुनी सी वीरान सी सड़कों पर, काली घनी अंधेरी रातों…
युवा कवि मुकेश खारवाल की कविता-कैसी मोहब्बत??
“कैसी मोहब्बत” काजल सा कलंकित कर दिया, काजल तेरी मोहब्बत ने। काल लिखने बैठा हूँ,कलम के…