दर्द का यह अंतहीन सिलसिला हर-रोज सिर्फ़ जगह बदलता है और करतूतें वही, मन के भीतर…
Category: साहित्य
ट्रैन के सफर में मुहब्बत का एक निवाला
-अहमद क़ासिम 5:30 पर ट्रेन थी,लेट हो गयी और 7 बजे के करीब दिल्ली से छूटी,अब…
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-अहमद क़ासिम 5:30 पर ट्रेन थी,लेट हो गयी और 7 बजे के करीब दिल्ली से छूटी,अब…