लॉकडाउन: अस्पतालों से जुड़ी तीन सच्ची घटनायें, जो सोचने पर मजबूर कर देगी !

सीन-एक समय रात दो बजे स्थान शहर का एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल “जल्दी उतरो, अरे जल्दी…

ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया…सड़कों पर कई कि.मी. पैदल चलने को मजबूर सैकड़ों रामलला !

पहले रामायण आती थी तो सड़कों पर कर्फ्यू लग जाता था. आज सड़कों पर कर्फ्यू है…

बस कुछ रोज़ की बात है !

टप-टप गिर रहा था आज बूंदों के रूप में जो आसमाँ से, आज इन बूंदों में…

जिसका नाम ‘पुलिस’ है !

“हम खून की किस्तें तो कई दे चुके लेकिन ए खाक-ए-वतन कर्ज अदा क्यूं नहीं होता”…