भीतर का रेगिस्तान-(कविता)

दर्द का यह अंतहीन सिलसिला हर-रोज सिर्फ़ जगह बदलता है और करतूतें वही, मन के भीतर…

कॉलेज का पहला दिन-(कविता)

कॉलेज का पहला दिन हर लड़के की तरह मुझे भी, कॉलेज के पहले दिन एक हसीना…

ट्रैन के सफर में मुहब्बत का एक निवाला

-अहमद क़ासिम 5:30 पर ट्रेन थी,लेट हो गयी और 7 बजे के करीब दिल्ली से छूटी,अब…

कितने चेहरे हैं हमारे -(कविता)

हमारे कितने चहरे एक? दो? तीन? या फ़िर अनन्त आज का ! कल का शाम का!…