ख़ान इक़बाल कि कविता “हमारे कितने चहरे”

हमारे कितने चहरे एक? दो? तीन? या फ़िर अनन्त आज का ! कल का शाम का!…

इस चुनाव में मैं किसके साथ हूँ,आपको भी होना चाहिए

राजस्थान में चुनावी रंग जम चुका है .यहाँ की हर सुबह एक उजास और लोकतंत्रिकता की…

लोकतंत्र की हत्या का हक़ किसी को नहीं है

–अशफ़ाक ख़ान उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले मे कासिम नाम के एक व्यक्ति की सिर्फ शक…

आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं

-साबिर अहमद मंसूरी परीक्षाओं की समाप्ति के बाद छात्रों को त­ब तक रिलैक्स फील नहीं होता…