बिहार के छात्रों ने लगाई मुख्यमंत्री से गुहार, हम बिहारी है आपकी ज़िम्मेदारी हैं !


एक अनुमान के मुताबिक कोटा में बिहार के लगभग 35 हजार बच्चे फंसे हुए हैं। इन छात्रों में करीब 12-13 हजार लड़कियां हैं।

कोटा में फंसे हुए छात्र बिहार आना चाहते हैं । इसके लिए वो अलग अलग तरीकों से अपनी बात सरकार तक पहुंचा रहे हैं।

कोटा के छात्र ट्विटर पर #SendUsBackHome और #HelpKotaStudent ट्रेंड चलकर भी अपनी बात प्रशासन तक पहुंचा रहे हैं।

छात्रों का कहना है कि हॉस्टल में रहकर सभी लोग परेशान हो चुके हैं। होस्टल के बाहर रह रहे छात्रों को और अधिक परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है। मेस बंद होने के कारण खाने की भी दिक्कत हो रही है।

कोटा में रह रहे बिहार के छात्र अभय कुमार का कहना है कि जब दूसरे राज्य की सरकारें अपने अपने बच्चों को घर भेजने का इंतज़ाम कर रही है तो नीतीश कुमार सरकार को भी हमें घर भेजने का इंतजाम करना चाहिए।

दरबंगा बिहार के रहने वाले दीपक साहू का कहना है कि कोटा में संक्रमण बहुत ज्यादा फेल चुका है और जो लोग हमारे लिए खाना लाते हैं उनसे स्टूडेंट्स में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। हम यंहा पढ़ाई करने के लिए आए थे लेकिन हम सब मानसिक रूप से भी बहुत परेशान हैं इसलिए पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। सुशासन बाबू से निवेदन है कि हमें घर भेजने का प्रबंध करें।


बिहार की एक छात्रा का कहना है कि,

“सभी राज्यों की सरकारें अपने अपने बच्चों को घर लेकर जा रही है, अब कोटा में सिर्फ बिहारी बच्चे ही बचे हैं, अगर हमें कुछ हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? आपने तो बड़े आराम से हमें सम्पन्न मां बाप का बताकर यहीं रहने के लिए बोल दिया लेकिन क्या वो विधायक सम्पन्न नहीं थे ? यह तो वही बात हो गई बिहार में लूट है सिर्फ विधायकों को ही छूट है। नीतीश जी हम बिहारी हैं हम आपकी जिम्मेदारी हैं, प्लीज़ हमारी प्रॉब्लम को समझिए और कोई एक्शन लीजिए।”


विरोध जताने के लिए कोटा में बिहार की लड़कियों ने एक दिन का उपवास भी किया है लेकिन बिहार सरकार इन्हें वापस न बुलाने पर अड़ी है।

जबकि बहुत सारे राज्यों की सरकारें अपने अपने छात्रों को कोटा से ले गई हैं। बिहार सरकार को भी एक बार सोचना चाहिए।

कोटा में फंसे अधिकांश छात्र नाबालिग हैं, वे डरे हुए है, वहाँ कोरोना का प्रकोप ज़्यादा है और अब उन्हें खाने पीने के भी लाले पड़ गए हैं।


 

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