आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर प्रदेश के विभिन्न वित्तीय मामलों पर चर्चा की।
विभिन्न पेयजल परियोजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों को अनुमति देने तथा राज्यहित में केंद्रीय योजनाओं की राशि समय पर जारी करने का आग्रह किया।
केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा पहले की तरह हर माह की पहली तारीख को दिया जाए। केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में इस व्यवस्था को बदल दिया है, इससे राज्यों को वित्तीय व्यवस्था में परेशानी आ रही है।
राज्य को महीने के पहले दिवस पर वेतन एवं पेंशन का भुगतान करना होता है, लेकिन केंद्र से मिलने वाले राज्यांश में देरी के कारण वेतन एवं पेंशन के समय पर भुगतान में कठिनाई होती है।
वित्त मंत्री से करीब 5473 करोड़ रुपए की लागत की सात पेयजल परियोजनाओं के वित्तीय प्रस्तावों को शीघ्र अनुमति प्रदान किए जाने का आग्रह किया।
राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल परियोजना के तृतीय चरण के लिए 1450 करोड़ रूपए की बाह्य वित्त पोषण सहायता प्राप्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग की।
इस योजना से जोधपुर, बाडमेर व पाली के 2014 गांवों तथा 5 कस्बों को वर्ष 2051 तक जल आपूर्ति की जा सकेगी।
राजस्थान के विभिन्न जिलों में पेयजल के लिए जापान की सहयोग एजेंसी जायका से ऋण लेने के लिए कई योजनाएं प्रस्तावित हैं। इनके प्रस्ताव केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा शहरी विकास मंत्रालय के पास लंबित हैं।
कुम्भाराम लिफ्ट नहर से झुंझुनूं के सूरजगढ़ कस्बे और 190 गांवों तथा 59 ढाणियों के लिए करीब 718 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है।
इसी प्रकार झुंझुनूं के उदयपुरवाटी कस्बे तथा 94 गांवों और 504 ढाणियों के लिए करीब 612 करोड़ रुपये, बाड़मेर जिले के चौहटन में 188 गांवों के लिए करीब 498 करोड़ रुपये, बाड़मेर के ही गुढामालानी में 308 गांवों के लिए करीब 528 करोड़ रुपये और चौहटन तथा गुढामालानी के 141 गांवों के लिए करीब 562 करोड़ रुपये की योजनाएं प्रस्तावित हैं।
जयपुर शहर के लिए बीसलपुर परियोजना के दूसरे चरण के लिए करीब 1104 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव भी शहरी विकास मंत्रालय के पास विचाराधीन है। इन परियोजनाओं के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री से सहयोग का आग्रह किया।
केंद्रीय वित्त मंत्री से राज्य में किसानों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए की गई कर्ज माफी योजना के लिए केंद्र से अपेक्षित सहयोग मांगा।
राजस्थान सरकार ने सहकारी बैंकों के करीब 24 लाख किसानों के फसली ऋण माफ किए हैं, जिनसे राज्य सरकार पर 15 हजार 679 करोड़ रुपए से अधिक का वित्तीय भार आया है।
इसके साथ ही राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से फसली ऋण लेने वाले किसानों के एनपीए श्रेणी के फसली ऋणों को 2 लाख रुपए की सीमा तक राज्य सरकार माफ कर रही है।
चूंकि वित्तीय संस्थाएं भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं, ऐसे में बैंकों के साथ ऋण माफी के लिए एकमुश्त समझौते के निर्धारण में केंद्र सहयोग करे।
राज्य में विकास योजनाएं समय पर पूरी हों और उनके लिए धन की कमी नहीं हो, इसके लिए राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 3 प्रतिशत के स्थान पर 4 प्रतिशत तक शुद्ध ऋण लेने की अनुमति प्रदान की जाए।
केंद्र सरकार राज्यों के लिए बाजार ऋण लेने की निर्धारित प्रक्रिया को स्थायी बनाए।
इसके साथ ही वित्त वर्ष 2019-20 में बाजार ऋण के लिए निर्धारित सीमा 36 हजार 161 करोड़ रुपए की तुलना में केंद्र सरकार ने केवल 7 हजार 495 करोड़ रुपए का बाजार ऋण लेने की ही स्वीकृति प्रदान की है, जो राज्य की विकास परियोजनाओं को दृष्टिगत रखते हुए नाकाफी है।
केंद्र सरकार द्वारा ऋण लेने की सहमति प्रदान नहीं किए जाने से राज्य के विकास प्रभावित हो रहे हैं।