सुना है हम मॉर्डन हो रहे हैं………
#Article377
विशेष : आज समलेंगिक कानून, या गे कानून पे चर्चा । कल कोर्ट ने धारा 377 खत्म कर दी। अब ये अपराध नही माना जायेगा। हमारे देश के मीडिया में, बुद्धिजीवियों में, फ़िल्म उद्योग में खुशी की लहर आ गई है। जिस कार्य को कोई भी धर्म चाहे हिन्दू हो, मुस्लिम हो, ईसाई या सिख हो, जैन हो पारसी हो। कोई भी मान्यता न देता हो पर इस पर देश का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग इसे भारत के लिए ऑक्सीजन बताकर शुभकामनाए दे रहा है।
एक महापुरुष ने कहा था , कि एक वक्त ऐसा आएगा जब अच्छे लोग निष्क्रिय हो जाएंगे और समाज मे ऐसे लोगो का बोलबाला हो जाएगा जो समाज की कुरीतियां मानी जाती थी वो उन कुरीतियो को समाज का हिस्सा मानने लगेंगें। जैसे गे , लिव इन रिलेशन सिप, सिंगल लिविंग।
समाज दो वर्गों में बंटा दिखाई देगा। एक तरफ वो लोग जो अब तक समाज को सम्भाले चले आ रहे थे , वो रूढ़िवादी कहलायेंगे। और जो इनके पक्ष में होंगे वो विकास वादी , प्रगतिशील कहलायेंगे।
वैसे गे का मतलब नोटा भी होता है। न पुरुष न औरत, अब ऐसे लोगो की बाढ़ आ जायेगी।
जल्द ही आपको नये तरह के विवाह की सूचना मिलेगी। की रमेश वेड्स नरेश। शुरू में तो आप नही जाएंगे। पर बाद में ये आपके समाज का अंग बन जायेगा।
शुभकामनाये सम्पूर्ण भारतीय समाज को, प्रगतिशील और विकास वादी हो गये है।
–विकास
(लेखक राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में समाज कार्य विभाग में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहें हैं)