2014 में आई मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक योजना थी “बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ”योजना । यह एक फ्लैगशिप योजना थी जिसे 2015 में लाया गया था ।
इस योजना का उद्देश्य लिंगानुपात के आंकड़े सही करना एवं समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधार कर उन्हें सशक्त बनाना था ।
हाल ही में आयी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मोदी सरकार ने इस योजना के लिए जितना फंड जारी किया था उसका लगभग 80 प्रतिशत फंड इस योजना के प्रचार में ख़र्च हो गया ।
महिला सशक्तिकरण को लेकर हिना विजयकुमार की अध्यक्षता में बनी संसदीय कमेटी ने यह रिपोर्ट प्रस्तुत की है !
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016-2019 के बीच सरकार ने “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” योजना के तहत लगभग 446.72 करोड़ रुपये जारी किए थे जिसमें से लगभग 78.91 % रुपये योजना के प्रचार ही में ख़र्च हो गए ।
रिपोर्ट में योजना के तहत जारी किये गए फंड का सही उपयोग न होने की बात सामने आयी है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014-2015 और 2019-2020 के बीच योजना के तहत के बजट का निर्धारण 848 करोड़ रुपये किया गया था । जिसमें से 622.48 करोड़ रुपये राज्यों को दिए गए थे लेकिन राज्य उसमें से सिर्फ़ 25.13% ही ख़र्च कर पाए हैं ।