राजस्थान से राज्यसभा जाने वाले कांग्रेस-भाजपा के तीनों नेताओं की पूरी कुंडली यहां पढ़िए


राज्यसभा चुनाव को प्रदेश में चल रहे हाई वोल्टेज पॉलिटिकल ड्रामे का आखिरकार आज समापन हो गया। पिछले 15 दिन से चल रही बाड़ाबंदी पॉलिटिक्स और हॉर्स ट्रेडिंग जैसी बयानबाजी के बीच आज राज्यसभा की राजस्थान से 3 सीटों के लिए मतदान हुआ, जिसमें कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी और भाजपा से एक प्रत्याशी राज्यसभा पहुंचेंगे।

मतदान के बाद हुई मतगणना में केसी वेणुगोपाल को 64 वोट मिले, नीरज डांगी को 59 वोट मिले, वहीं भाजपा से राजेंद्र गहलोत को 54 वोट मिले तो उनके दूसरे प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत को 20 वोट हासिल हुए। कांग्रेस को 123 वोट एवं बीजेपी को 75 वोट मिले, जबकि 2 विधायक अनुपस्थित रहे। 

राजनीतिक जानकारों ने इस चुनाव को मुख्यमंत्री गहलोत का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है वहीं चुनाव होने के बाद प्रत्याशियों के जीत की महज औपचारिक घोषणा हुई क्योंकि कांग्रेस के दोनों प्रत्याशी और भाजपा से एक प्रत्याशी का राज्यसभा जाना तय माना जा रहा था।

आइए एक नजर डालते हैं राजस्थान से राज्यसभा जाने वाले इन तीनों नेताओं की कुंडली पर।

केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस प्रत्याशी)

केरल से आने वाले वेणुगोपाल ने छात्र राजनीति से राजनीतिक करियर की शुरूआत की। छात्रसंघ अध्यक्ष बनने के बाद वेणुगोपाल यूथ कांग्रेस के स्टेट प्रेसिडेंट भी रहे। वहीं 1996, 2001 और 2006 में विधायकी भी मिली। सरकार की बात करें तो केरल की यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार में देवस्थान और पर्यटन मंत्रालय भी संभाला।

कांग्रेस में सोनिया खेमे के करीबी माने जाने वाले वेणुगोपाल 2009 से 2019 तक केरल की अलपुझा सीट से लोकसभा पहुंचते रहे हैं और उन्हें यूपीए-2 में ऊर्जा और सिविल एविएशन मंत्री भी बनाया गया था।

राजस्थान सीएम अशोक गहलोत के कांग्रेस महासचिव का पद छोड़ने के बाद से वेणुगोपाल कांग्रेस संगठन के महासचिव की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

नीरज डांगी (कांग्रेस प्रत्याशी)

पश्चिमी राजस्थान से आने वाले नीरज डांगी कांग्रेस के बदकिस्मत नेता माने जाते हैं जबकि वो एक परिवार से आते हैं जहां के आंगन में कांग्रेसी और बीजेपी के पेड़ बराबर लगे और फूले-फले।

कर्नाटक से कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद डांगी ने राजनीति में आने का मन बनाया और एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के जरिए घुस गए, तमाम उतार-चढ़ाव के बाद आखिरकार 2004 में यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली।

नीरज डांगी के पिता दिनेश राय डांगी सूबे में 3 बार मंत्री बने और 80 के दशक में राजनीति का एक बड़ा नाम रहे। इसके अलावा डांगी के चाचा हुकमाराम जनसंघ फिर जनता पार्टी और उसके बाद में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे और 1977 में जालौर सीट से लोकसभा भी पहुंचे।

डांगी के बारे में यह कहा जाता है कि वो कांग्रेस के कैडर से लंबे समय से जुड़े हैं लेकिन फिर भी उन्हें कभी कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली, हालांकि गहलोत के वो करीबी माने जाते हैं।

राजेंद्र गहलोत (बीजेपी प्रत्याशी)

भाजपा में संघ के चहेते माने जाने वाले गहलोत ने टिकट की होड़ में कई दावेदारों को पछाड़ा था और टिकट लेने में सफल हुए थे।

45 साल से सक्रिय राजनीति में रहने वाले गहलोत संघ के चहेते चेहरे हैं और आम जनता में उनको बेहद लो-प्रोफाइल और डाउन टू अर्थ मिजाज वाला माना जाता है। 1977 में सोजत से पहला चुनाव लड़ा और राजनीति में कदम रखा। इसके बाद 1980 से 1986 तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली।

1990 में जोधपुर की सरदारपुरा सीट से कांग्रेस के मानसिंह देवड़ा को हराकर खूब मजमा लूटा लेकिन इसी सीट से फिर 2008 में अशोक गहलोत से हारे थे।

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