टोंक में प्रशासन ने बूचड़खाने पर चलाया बुल्डोजर, काशिफ़ ज़ुबैरी ने की स्लॉटर हाउस खोलने की मांग

टोंक। NH-52 पर बंद पड़े पुराने स्लॉटर हाउस को ध्वस्त करने के मामले में AIMIM नेता काशिफ जुबेरी ने टोंक नगर परिषद आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा। स्लॉटर हाउस के लिए जगह देने की रखी मांग, शहर में बड़ी आबादी के मांस के सेवन का भी दिया हवाला, पुराने स्लॉटर हाउस को तोड़े जाने की प्रक्रिया को लेकर भी उठाए सवाल। नगर परिषद टोंक द्वारा अवैध बता ध्वस्त किए गए बुचडख़ाने के बाद वैध बुचडख़ाना खोलें जाने की माँग को लेकर नगरपरिषद कार्यालय पहुँच पत्र सौपा। काशिफ़ ज़ुबैरी ने कहा कि इस विरोधाभासी कार्यवाही का मैं विरोध करता हूँ। या तो जल्द नये स्लॉटर हाउस या औपचारिक कटाई की जगह की व्यवस्था की जाये अन्यथा प्रशासन विरोध को तैयार रहे।

काशिफ़ ज़ुबैरी ने बताया कि नगर परिषद क्षेत्र टोंक जहाँ एक बड़ी तादात में माँसाहार का सेवन और व्यापार करने वाले लोग रहते हैं। यहां तकरीबन आधी आबादी से ज़्यादा लोग इस भोजन व व्यापार से जुड़े हुए है । लेकिन पिछले कुछ महीनों से देखने में आया है की नगर परिषद व प्रशासन द्वारा इस के क्रय विक्रय किए जाने वाले लोगो को कभी लाइसेंस कभी NOC के नाम पर लगातार सवाल किया जाता रहा है। जिसके बाद कई लोगो को मांस विक्रय के अनापत्ति प्रमाण पत्र दिये गये जो की 2025 तक वैलिड है.

दिनांक 24.12.2024 को जानकारी में आया की नगर परिषद टोंक ‌द्वारा जो स्लॉटर हाउस नगर परिषद की भूमि पर बना कर दिया गया था उसको नियमों के अनुसार ना मान कर बुलडोज़र चला कर ध्वस्त कर दिया जिसके बाद नगरपरिषद की इस कार्यवाही पर कई सवाल उठ रहे हैं।
नगर परिषद द्वारा स्वय ही बना कर दिया गया स्लॉटर हाउस किस तरह अवैध हो सकता है?
नगर परिषद विभाग ने स्वय की भूमि पर स्वय ही बना कर दिये स्लॉटर हाउस पर नियमन का ध्यान क्यों नहीं रखा?
नगर परिषद को अगर जानकारी थी की बना कर दिया गया स्लॉटर हाउस नियमन की वजह से अवैध है तो पहले से मांस विक्रय की NOC क्यों दी गयी? क्योंकि जब विधिक कटाई ही नहीं होगी तो NOC से विक्रय करने वाले छोटे दुकानदार हमेशा मजबूर रहेंगे गैर कानूनी तरीके से माल बेचने के लिए।

नगर परिषद के द्वारा स्लॉटर हाउस को ध्वस्त करने से पहले किसी अन्य जगह लिखित तौर पर कटाई की जगह की व्यवस्था क्यों नहीं की गयी, ताकि छोटे मांस की दुकानों में विक्रय करने वाले लोगो पर भविष्य में कभी गैर कानूनी बेचान का आरोप लगा कार्यवाही ना हो।

इन सभी तथ्यों को मद्देनज़र संबंधित मेमोरेंडम के ज़रिये प्रशासन से मांग है की नगर पालिका अधिनियम 2009 अन्तर्गत धारा-272 शहर टोंक की एक बड़ी आबादी के रोज़गार और क़ानूनी सुरक्षा के लिए तुरंत स्लॉटर हाउस खोले जाने की मेहरबानी करे. और जब तक विधिक स्लॉटर हाउस नहीं खोला जाता तब तक विधिक कटाई के लिए जगह उपलब्ध करायी जाने की व्यवस्था करे ताकि शहर की एक बड़ी ग़रीब आबादी को आसानी से सस्ता भोजन प्राप्त हो सके.

क्या है पूरा मामला

टोंक नेशनल हाइवे जयपुर-कोटा के किनारे स्थित जर्जर बूचड़खानों पर मंगलवार को नगर परिषद की टीम ने कार्यवाही की। कोतवाली पुलिस के जाब्ते की मौजूदगी में नगर परिषद, राजस्व विभाग की टीम ने तीन जेसीबी मशीन के जरिए नगर परिषद की 2 हजार वर्गमीटर पर पूर्व में आवंटित भूमि पर बने नकारा अवैध बूचड़खाने को जेसीबी से ध्वस्त किया है। अवैध बूचड़खानों पर कार्यवाही के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर व्यापारी व आमजन भी मांग कर रहे थे। अवैध बूचड़खाना हटाओ समिति अध्यक्ष विष्णु गुप्ता सहित अन्य पदाधिकारियों व स्थानीय लोगों ने नगर परिषद की अवैध जर्जर बूचड़खाने पर की गई कार्यवाही पर खुशी व्यक्त की है। विदित रहे कि पिछले कई सालों से शहर के जयपुर-कोटा हाईवे पर जर्जर बुचड़खानों पर कार्यवाही को लेकर लगातार मांग की जा रही थी। जिसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से लेकर सीएम कार्यालय तक हो चुकी थी।


कलेक्टर डॉ सौम्या झा के निर्देशों की पालना में आयुक्त ममता नागर के निर्देशन में मंगलवार को नगर परिषद के राजस्व निरीक्षक के साथ ही जेसीबी मशीन अतिक्रमण रोधी दस्ता, पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचा, जहां बुलडोजर से बुचड़खानों लंबे समय से बंद और जर्जर पड़े बूचडख़ानों को तोड़कर ध्वस्त कर किया गया। राजस्व निरीक्षक ने बताया कि 2 हजार वर्ग मीटर में बने नगरपरिषद के बूचड़खानों को लेकर पिछले साल पीडब्ल्यूडी ने कंडम घोषित कर दिया था, लेकिन अलग-अलग विभागों की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण कार्यवाही नहीं हो पाई थी।

नगर परिषद के अधिकारी और तहसीलदार समेत भारी पुलिस जाप्ता मौके पर पहुंचा और बुलडोजर से बूचड़खानों की दीवारों को ध्वस्त कर अवैध बूचड़खानों को तोड़ने की कार्रवाई की गई।

लोगों ने किया था डेढ़ साल पहले आंदोलन ज्ञात रहे कि शहर के पास लंबे समय से बंद बूचड़खानों को ध्वस्त करने की मांग को लेकर सीएम तक शिकायत की गई थी, लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण कार्रवाई अधूरी रही थी। जबकि इन्हे ध्वस्त करने के लिए शहरवासियों ने करीब डेढ़ साल पहले आंदोलन भी किया था।

नगर परिषद के राजस्व निरीक्षक सौरभ गर्ग ने बताया कि कलेक्टर डॉ. सौम्या झा के निर्देश पर नगरपरिषद और तहसीलदार की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है। इससे पहले कई विभागों से इसकी स्वीकृति पूरी की गई। करीब 2 हजार वर्गमीटर में में बने नगरपरिषद के बूचड़खानों को लेकर पिछले साल पीडब्ल्यूडी ने कंडम घोषित कर दिया था। इन्हे हटाने के लिए करीब डेढ़ साल पहले व्यापारियों समेत विभिन्न संगठनों ने अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हुए आंदोलन भी किया था, लेकिन अलग-अलग विभागों की स्वीकृति नहीं होने पर ध्वस्त करने की कार्रवाई नहीं हुई थी। आखिर लंबी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कलेक्टर के निर्देश पर राजस्व अधिकारियों ने नगरपरिषद और तहसील के अधिकारियों की मौजूदगी में अवैध बूचड़खानों को जेसीबी मशीन से ध्वस्त किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *