बारां जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र किशनगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत गरडा के गांव राजखेड़ा के कई सहरिया परिवारों को अभी तक भी आवास का लाभ नही मिला है !
इस गांव के करीब 19 परिवार ऐसे है जिनके पास घर नहीं है । यह परिवार आज भी टापरियो में निवास करते है । इनके छोटे छोटे बच्चे इन टापरियो मे डर के साये में अपना जीवन यापन कर रहे है ।
इसी तरह कर्णपूरा गांव में भी 24 परिवार ऐसे है जिनके को आवास का लाभ नही मिला है । वही पगारा गांव के 20 परिवारों को भी आवास का लाभ नही मिला है ।
यह परिवार आज भी अपना जीवन टापरियो में गुजार रहे है । जगदेवपुरा के 50 परिवार भी आवास से वंचित है । इन परिवारों ने बताया कि हमने आवास के लिए कई बार आवेदन कर दिए उसके बाद भी हमें पीएम आवास योजना का लाभ नही मिल रहा है ।
केस-1
पगारा गांव का एक परिवार ऐसा भी है जो रोड के किनारे पुश्तेनी टापरी में निवास कर रहा है । यह परिवार इस टापरी में दुखमय जीवन निकाल रहा है । संतोष पत्नी धनराज सहरिया अपने तीन बच्चों व पत्नी के साथ इस टूटी फूटी घास फूस की बनी टापरी जीवन बसर कर रहा है ।
इसी टापरी में रहना खाना पकाना करते है । और इसी में सोते है। करीब 10 वर्षो से इसी टापरी में रह रहे है। महिला सन्तोष ने बताया कि मेरे तीन बच्चे है । रोहित10 वी, सोनिका 4 वी, ज्योति कक्षा 2 में पढ़ती है । दो पति पत्नी मेहनत मजदूरी करते है ।
इन्होंने बताया कि आवास के लिए कई बार ग्राम पंचायत में आवेदन कर दिए मगर उसके बाद भी आवास नही मिला है ।
अभी 15 दिन पहले भी ग्राम पंचायत जाकर आवास का लाभ देने की मांग की थी । मगर कोई भी संतोषप्रद जवाब नही दिया गया । उसके बाद मायूस होकर घर लौट आया । इस परिवार ने अब आवास की आस ही छोड़ दी है ।
केस-2
कर्णपुरा निवासी विधवा महिला अपने बच्चो के साथ आज भी टापरी में रहती है । महिला मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चो का लालन पालन कर रही है ।
महिला की हैसियत नही होने के कारण घर बनाना इसके लिए मुश्किल हो रहा है । महिला दैनिक मजदूरी कर अपना व बच्चों का पेट भर रही है ।
महिला के पांच बच्चे है । 2 बच्चे स्कूल जाते है । विधवा महिला कन्या बाई ने बताया कि मेरे पति की मृत्यु हो गयी । कमाने वाला कोइ नही है ।
मैं स्वयं ही मजदूरी कर बच्चो का पेट भर रही हूँ । मेरे पास रहने को घर नही है । पेंशन योजना का लाभ मिलता है । महिला ने बताया कि आवास के लिए कई बार ग्राम पंचायत में आवेदन किये मगर लाभ नही मिला ।
(बाराँ से फ़िरोज़ ख़ान की रिपोर्ट)