“देश के मुर्दा नागरिकों को तेल की कीमत में ऐतिहासिक बढ़ोतरी व बजट की कोटि-कोटि शुभकामनाएं!”
अंतरात्मा, बुद्धि के बहुत समझाने के बावज़ूद उसका चीर हरण करके चिल्ला रही है कि इस देश के नागरिक क्या इतना जल्दी मुर्दा हो गए ?
ये शब्द इसलिए निकल रहे हैं क्योंकि अंतरात्मा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है कि आखिर इस देश की सरकारों का हौसला इस कदर बढ़ गया है कि 1 दिन में तेल की कीमतों में लगभग 4.51 प्रति लीटर बढ़ा दे ? और सड़के की सुनी भी रहे !
पहले तेल की कीमतों में 50 पैसे की वृद्धि होने पर देश की सड़कों पर लोगों के गुस्से व आंदोलन की आग लग जाती थी। तो क्या अब लोग मुर्दा हो गए ?
लेकिन दूसरे ही क्षण जवाब आता है— सरकारे आखिर ऐसा क्यों नहीं कर सकती!
क्योंकि इस देश का नागरिक कब अपने मुद्दों पर वोट करता है। मुद्दों की बात करने वाला तो उसे पाकिस्तान का एजेंट नजर आता है! या एंटी नेशनल!
बहुत शर्मनाक ! लगभग ढाई रुपए की वृद्धि केंद्र सरकार द्वारा और उसके तत्काल बाद ढाई रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी राज्य सरकार द्वारा वेट लगा कर कर दी! वह भी बेधड़क ! बिना किसी डर के!
अखिल डर किस बात का !
क्योंकि नागरिक ने तो विरोध करने का नैतिक अधिकार ही खो दिया है राज्य सरकार का विरोध इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि उनके प्रिय मोदी जी ने ही शुरुआत की है और मोदी जी का विरोध तो जैसे भारत माता का विरोध प्रतीत होता है !
अब ऐसी स्थिति में कांग्रेसी,भाजपाईयों का विरोध नहीं कर सकते और भाजपाई, कांग्रेसियों का विरोध नहीं कर सकते ! आखिर नंबरों का सवाल है और वैसे भी नागरिकों ने पिछले 6 माह में राजनीतिक दलों और उनके प्रिय नेताओं की भक्त बन कर सोशल मीडिया पर गुणगान करने में कोई कमी भी तो नहीं छोड़ी ! तो फिर विरोध कौन करें!
क्या गजब स्थिति है। लूट कर भी खुश!
शिकायत करें तो आखिर किससे करें?नागरिकों ने पढ़ना लिखना तो छोड़ ही रखा है उसे तो पता भी नहीं है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से उसकी पेट्रोल पंप पर ही जेब ढीली नहीं होगी ! उसका पूरा बजट बिगड़ने वाला है।
कुछ मध्यमवर्गीय टीवी देखने वाले नागरिक इसलिए खुश है कि 1 करोड़ से अधिक केस ट्रांजैक्शन पर 2% टीडीएस और 2 करोड़ से अधिक आमदनी वालों पर 2% व 7% सेस लगाया जाएगा। फ्री टीवी चैनल वालों ने दिमाग में बैठा दिया की बजट अमीरों की जेब ढीली करने वाला है। हा हा हा हा!
लेकिन इन राष्ट्र भक्तों यह पता ही नहीं है कि टीडीएस का अर्थ क्या होता है बिना किताब पढ़े तो यही लगता है ना कि टीडीएस कोई टैक्स होगा। साधारण इतिहास पढ़ने में ही इतना जोर आता है तो यह तो इकोनॉमिक्स की शब्दावली हैं।
चलो मैं ही बता देता हूं।
TDS का तात्पर्य होता है कि इस कटौती को टैक्स में एडजस्ट कर दिया जाएगा, यह कोई टैक्स नहीं होता और भला एक करोड़ का ट्रांजैक्शन करने वाला टैक्स नहीं अदा करें, ऐसा हो नहीं सकता..हाहाहा !
Cess का तात्पर्य होता है टैक्स के ऊपर टैक्स | वास्तविक अर्थो में टैक्स में 0.2% की वृद्धि भी नहीं हुइ है लेकिन लोगों को लगता है अमीरों पर 7% की टेक्स वृद्धि कर दी!
एक और जरूरी सूचना दे देता हूं कि बजट में विदेशी किताबों पर 5% कस्टम ड्यूटी लगा दी गई है किताबे तो हम वैसे ही नहीं पढ़ रहे थे जो थोड़े बहुत लोग पढ़ रहे थे उनका भी पढ़ना लिखना धीरे धीरे बंद !
एक बार पुन: राष्ट्रभक्त मुर्दा नागरिकों को बजट और तेल की कीमतों मे New India की ऐतिहासिक बढ़ोतरी की कोटि-कोटि शुभकामनाएं !
– सी.बी. यादव