Skip to content
उसकी ख़ामोशी की वो धुन मेरे अल्फाज़ का वो शोर
ना चाहतों पे है काबू ना दिल पे है कोई ज़ोर
वो पंखुड़ी गुलाब सी मैं कांटों का गुलदान
मैं उसका टुटा हुआ सपना वो मेरा एक ही अरमान
मैं टुटा हुआ तारा तो वो चाँद जैसे पूनम का
मैं बहता हुआ पानी तो वो क़तरा कोई शबनम का
मैं नफ़रतों का सेहरा वो मोहब्बत का समंदर
वो इश्क़ का मरहम तो मैं तन्हाई का खंजर
वो प्यार का समंदर मैं नफरतों का सेहरा
वो आशिक़ी की बग़ावत मैं चाहतों का पहरा
वो खिलता हुआ गुल है तो मैं टुटा हुआ पत्ता
वो मशहूर सी मंज़िल मैं भुला हुआ रस्ता
न चाहतों पे है काबू नहीं दिल पे है कोई ज़ोर
उसकी ख़ामोशी की वो धुन मेरे अल्फ़ाज़ का वो शोर
— आयत
Great….writing…keep it up
Great choice of words.
Very nice flow of thoughts.
Really liked it.