नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज शाम दिल्ली मे गठित केन्द्रीय मंत्री मण्डल मे राजस्थान के सांसदो में से मंत्री बनने वालों से अधिक चर्चा बेनीवाल व मीणा के मंत्री नही बनने को लेकर हो रही है।
राजस्थान में तीन विधायकों वाली पार्टी रालोपा के एनडीए मे शामिल होकर उसके विधायक हनुमान बेनीवाल के नागौर से सांसद बनने के बाद घटक दल के कोटे में उनका मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा था।
लेकिन बेनीवाल को मंत्री नही बनाये जाने से वो नाराज होकर प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह तक में नही गये।
रालोपा नेता सांसद हनुमान बेनीवाल की ही तरह राज्य सभा सांसद डा.किरोड़ी मीणा के भी मंत्री बनने की चर्चा जोरो पर थी लेकिन उन्हे भी मंत्रीमण्डल मे जगह नही मिलने की चर्चा प्रदेश मे खूब हो रही है।
बेनीवाल और मीणा आखिरी समय तक फोन का इंतजार करते रहे कि उन्हे मंत्रीमण्डल मे जगह देकर शपथ के लिये बुलाया जायेगा। पर उनके पास ऐसा कोई फोन नही आया।
राजस्थान की राजनीति मे हनुमान बेनीवाल व किरोड़ीलाल मीणा को काफी संघर्षी व जनाधार वाले नेता के तौर पर देखा जाता रहा है।
दोनो नेताओं की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से पटरी नही बैठने के कारण वो राजे की भाजपा सरकार के खिलाफ एक समय बहुत संकट पैदा करते रहे थे।
लेकिन अंत मे किरोड़ी लाल मीणा के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले फिर भाजपा जोईन करने पर भाजपा ने उन्हें राज्य सभा सांसद बना दिया था।
मीणा ने विधानसभा व लोकसभा चुनाव मे भाजपा उम्मीदवारों के लिये खूब कोशिशे की थी।
इसी तरह पूरे पांच साल वसुंधरा राजे व उसकी सरकार के खिलाफ हनुमान बेनीवाल के खूब जहर उगलते रहने के बाद लोकसभा चुनाव मे भाजपा से गठबंधन करके नागौर से रालोपा की टिकट पर चुनाव लड़ा ओर सांसद बन गये।
लोकसभा चुनाव मे बेनीवाल ने अनेक जगह भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष मे साभाऐ करके प्रचार किया।
लोकसभा चुनाव परिणाम मे भाजपा को बहुमत मिलने के बाद बेनीवाल व मीणा को मोदी मंत्रीमंडल मे जगह मिलने की पूरी सम्भावना होने के कारण वो आखिर समय तक दिल्ली रहकर अमित शाह या पीएमओ से फोन आने का इंतजार करते रहे और फोन फिर भी नही आया।
राजस्थान की धरती पर अब केन्द्रीय मंत्री बनने वालो से अधिक मंत्री नही बनने वाले बेनीवाल व मीणा को लेकर काफी चर्चा हो रही है।
बेनीवाल व मीणा को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का घोर विरोधी माना जाता है। वसुंधरा राजे बेनीवाल के चुनाव प्रचार के लिये भाजपा से गठबंधन होने के बावजूद एक दफा भी प्रचार के लिये नही आई थी।
-अशफ़ाक़ कायमखानी