2 अप्रेल के मुकदमें वापस नहीं ,तो वोट नहीं !!
मुख्यमंत्री महोदय ! आपकी सरकार 2 अप्रेल के मुकदमे वापस लेगी या नहीं ?
माना कि बीजेपी दलितों की विरोधी थी,उसके राज में 2 अप्रेल के भारत बंद के दौरान दलितों पर सैंकड़ों मुकदमे दर्ज किये गए,लोग जेलों में ठूंसे गये।
पर आपकी पार्टी ने तो अपने मेनिफेस्टो ‘जन घोषणा पत्र’ में इन मुकदमों की समीक्षा का वादा किया था,कईं स्तरों पर लोगों ने मुकदमें हटाने की बात की थी,जिसे पार्टी के नेताओं ने माना था।
सब जानते है कि बीजेपी की विदाई में दलित आदिवासियों की नाराजगी ने बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने डिफिट बीजेपी अभियान चलाया ।
आपकी सरकार आ गई, लोगों को उम्मीद बंधी कि न्याय होगा,सत्ता प्रतिष्ठान में उनका भी सहभाग होगा,उनके साथ न्याय होगा,उन पर आंदोलन के दौरान लगे मुकदमें वापस लिए जायेंगे।
लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं,दलितों पर अन्याय अत्याचार बदस्तूर जारी है।
इस बीच जो आपकी सरकार की प्राथमिकता में था,वह आपकी सरकार ने कर दिया,जिनको आरक्षण देना था,दे दिया,गाय माता की रक्षा पर सम्मेलन हुये,जिन समुदायों का सरकार लाने में कोई योगदान नहीं रहा, वो सत्ता की मलाई चाटने सबसे आगे पहुंच गये।
हम सब कुछ देख रहे हैं,गहन ऑब्जर्वेशन चल रहा है,हम सोशल ऑडिट करेंगे,हर नियुक्ति का ,हर फील्ड पोस्टिंग का,सरकार के हर निर्णय का ।
कुल जमा बात यह है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व राज्य सरकार 2 अप्रेल के मुकदमों पर स्थिति स्पष्ट करें,मुकदमे वापस लेने की अब तक क्या कार्यवाही की,उसे सार्वजनिक करे तथा सभी मुकदमे वापस लें ।
अगर कांग्रेस सरकार 2 अप्रेल के मुकदमे वापस नहीं लेती है तो उसे दलितों व आदिवासियों के वोटों की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
– भंवर मेघवंशी
( सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार )