।अशफाक कायमखानी।
हालांकि अधीकांश सवर्ण जातियों को भाजपा के करीब माना जाता है। लेकिन राजस्थान मे ब्राह्मण बीरादरी को भाजपा के बजाय कांग्रेस सरकार मे विशेष महत्व मिलना सकारात्मक दिशा मे उठा उचित कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
राजस्थान मे वसुंधरा राजे सिंधिया के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार मे पहले एक मात्र ब्राह्मण अरुण चतुर्वेदी को राज्य मंत्री व फिर उन्हें तरक्की देकर केबिनेट मंत्री बनाकर समाज कल्याण विभाग का प्रभार दिया था। जबकि हाल ही मे अशोक गहलोत के नेतृत्व मे बनी कांग्रेस सरकार मे ब्राह्मण बीरादरी को विशेष महत्व मिलना देखा जा रहा है। बीडी कल्ला व रघु शर्मा को ऊर्जा व चिकित्सा जैसे महत्वपूर्ण विभागों के अलावा अनेक अन्य विभागों का प्रभार देकर तुलनात्मक अरुण चतुर्वेदी के भारी मंत्री बनाया गया है। इनके अतिरिक्त सीपी जौशी को विधानसभा अध्यक्ष व महेश जौशी को मुख्य सचेतक बनाकर उन्हें उनकी काबिलियत के अनुसार इज्ज़त बख़्शी है।
भारतीय राजनीति मे ब्राह्मण बीरादरी को राजनीतिक सूझबूझ व सही समय पर ठीक दिशा मे राजनीतिक दबाव व माहोल बनाने की काबलियत रखने वाला माना जाता है। ऐसी राजनीतिक सूझबूझ वाली ब्राह्मण बीरादरी की जितनी प्रशंसा की जाये उतनी कम मानी जायेगी।
दूसरी तरफ राजनीतिक तौर पर तुलनात्मक मुस्लिम समाज की राजनीतिक सूझबूझ पर नजर डाले तो उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर बडा तरस आता है। तकरीबन नीनानवे प्रतिशत मत कांग्रेस के खाते मे डालने वालो को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की तरह यूनूस खा की तरह एक मात्र मुस्लिम शाले मोहम्मद को मंत्री बनाया गया है। भाजपा सरकार मे मंत्री यूनूस खा के पास परीवहन व सार्वजनिक निर्माण विभाग सहित अन्य विभागों का प्रभार था। जबकि शाले मोहम्मद को अल्पसंख्यक मामलात तक सीमित रखकर मुस्लिम समाज की राजनीतिक अपरिपक्वता का सिला दिया है।
वैसे भी मुस्लिम समुदाय का राजनीति मे पहला काम भाजपा व संघ को रोकने के लिये उनके खिलाफ मतदान करने का पिछले सत्तर सालो से सफलतापूर्वक कार्य चला आ रहा है। जिसमे उनके जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते आने का परिणाम जस्टिस राजेंद्र सच्चर समिति की रिपोर्ट से भी मिल चुका है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा ब्राह्मण बीरादरी को उनके हक के अनुसार सत्ता मे हिस्सेदारी देने की जितनी तारीफ की जाये वो कम मानी जायेगी। वैसे कांग्रेस हमेशा सभी बीरादरी व समाजो को सत्ता मे उचित हिस्सेदारी देने की कोशिशें करती आई है। अगर कोई बीरादरी खुद ही पिछड़ जाये तो कांग्रेस पार्टी उसकी दोषी कतई नही मानी जाती है।