रामधारी सिंह दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व का एक विद्रोही कवि

राष्ट्रकवि के नाम से विख्यात कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया घाट में हुआ था। वो हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के वीर रस के श्रेष्ठ कवि के रूप में स्थापित हैं। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। हिंदी के साथ साथ उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का भी गहन अध्ययन किया था।

रामधारी सिंह दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।

दिनकर की रचना उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74वाँ स्थान दिया गया है। 24 अप्रेल 1974 को उनका देहांत हो गया।

 

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