राजस्थान में सरकारी स्कूलों को बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण व निन्दनीय-मुहम्मद नाज़िमुद्दीन

जयपुर। जमाअते इस्लामी हिन्द राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा 450 स्कूलों को बंद किया जाना अत्यंत दुखद, चिन्ताजनक व निंदनीय है। 

उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में कम छात्र संख्या के आधार पर स्कूल बंद कर देना सरकार का उचित निर्णय नहीं है। इसके विपरीत अभी तो राजस्थान में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं जहां अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति जनजाति के बच्चे प्राथमिक व आवश्यक शिक्षा से वंचित हैं तथा वहां नए स्कूल खोलने की आवश्यकता है। उन्होंने सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया कि शिक्षा के अधिकार नियम के अनुसार आबादी के निकटवर्ती दायरे में ऐसे स्कूल खोलना आवश्यक है जहां बच्चे आसानी से जा सकें और शिक्षा प्राप्त कर सकें। 

मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने कहा कि यह भी विचारणीय है कि सरकार ने स्कूल बंद का निर्णय लेते समय स्थानीय जनता तथा स्कूल प्रबंधन समिति तथा ग्राम सभा को विश्वास में नहीं लेकर आर टी ई एक्ट का उल्लंघन किया है जो कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की भावना के विपरीत है।

प्रदेशाध्यक्ष का यह भी कहना है उचित संसाधन तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव के  कारण अभिभावकों को मजबूरन निजी  स्कूलों  में  बच्चों को प्रवेश दिलवाना पड़ेगा और मोटी रक़म फ़ीस के तौर पर देनी होगी जो कि ग़रीब के लिए असम्भव है। 

इस संदर्भ में बालिका शिक्षा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस निर्णय का दूरगामी प्रभाव बालिका शिक्षा पर भी पड़ेगा। बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार के इस निर्णय से ग्रामीण इलाकों में पढ़ रही बच्चियों को पढ़ाई के स्थान पर अब  घर बैठने को मजबूर होना पड़ेगा। यह भी ग़ौरतलब है कि एक बार स्कूल बंद हो जाने पर दुबारा शुरू होना मुश्किल होता है। पिछली भाजपा सरकार में 17000 स्कूल बंद किए गए थे जो कि दुबारा चालू नहीं हो सके हैं।

मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने सरकार को सुझाव दिया कि सरकार स्कूलों को बंद करने के निर्णय को तुरंत वापस ले तथा बंद किए गए स्कूलों का सर्वे करवा कर व अभिभावकों को विश्वास में लेकर बंद किए गए स्कूल दोबारा शुरू किए जाएं। 

उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे अधिक से अधिक विद्यार्थी सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित हों तथा सस्ती शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय का श्रेष्ठ रास्ता उनके लिए आसान हो और वह शिक्षा प्राप्त करके तरक़्क़ी कर सकें।

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