जयपुर। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लोकसभा में पेश किए गए ‘वक्फ संशोधन बिल 2024’ का देशभर में व्यापक विरोध हो रहा है। इस विवादित बिल को अब ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) के हवाले किया गया है। विशेषज्ञों और समुदाय के नेताओं का आरोप है कि यह बिल वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म करने और वक्फ संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से लाया गया है।
“ज्वाइंट कमेटी तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़, राजस्थान” ने इस गम्भीर मुद्दे पर सरकार को नाराज़गी जताने, वक़्फ़ से सम्बंधित जन जागृति लाने और “वक़्फ़ संशोधन बिल 2024” का विरोध करने के लिए 10 नवम्बर 2024, रविवार को मोती डूंगरी रोड पर “तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ कॉन्फ्रेन्स” का आयोजन करने का निर्णय लिया है। तहफ्फुज ए औकाफ कांफ्रेंस के बारे में जानकारी देने के लिए सोमवार को जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया। कांफ्रेंस में कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा आगामी कॉन्फ्रेन्स से सम्बन्धित जानकारी दी गई। इस कॉन्फ्रेन्स में जे. पी. सी. मेम्बरान व अन्य प्रबुद्धजन सभा को सम्बोधित करेंगे।
प्रेस कांफ्रेंस में वक्ताओं ने बताया कि इस बिल में कई प्रावधान ऐसे हैं, जिन्हें असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर सीधा हमला बताया जा रहा है। मौजूदा वक्फ अधिनियम 1995 पहले से ही वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान देता है, फिर भी सरकार ने इनमें संशोधन कर वक्फ बोर्ड की स्थिति कमजोर करने की कोशिश की है।
बिल का एक बड़ा विवादास्पद प्रावधान यह है कि वक्फ बोर्ड के सदस्यों में अन्य धर्मों के लोगों को शामिल करने की योजना है। वर्तमान में, वक्फ संपत्तियों और उनके प्रबंधन का अधिकार केवल मुसलमानों के पास है। आलोचकों का कहना है कि यह बदलाव मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप है।
इसके अलावा, वक्फ विवादों के समाधान के लिए बने वक्फ ट्रिब्यूनल की जगह जिला कलेक्टर को अधिकार देने का भी प्रस्ताव है। इस कदम को वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण पाने का प्रयास माना जा रहा है।
बिल के विरोध में, ‘ज्वाइंट कमेटी तहफ्फुजे औकाफ, राजस्थान’ ने 10 नवंबर 2024 को मोती डूंगरी रोड पर ‘तहफ्फुजे औकाफ कॉन्फ्रेंस’ आयोजित करने का फैसला किया है। इस सम्मेलन में JPC के सदस्य और अन्य प्रबुद्धजन शामिल होंगे और जनता को संबोधित करेंगे।
आयोजकों ने समुदाय के लोगों से इस सम्मेलन में भारी संख्या में शामिल होकर वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने की अपील की है।
आयोजकों ने बताया कि भारत सरकार द्वारा “वक़्फ़ संशोधन बिल 2024” लोकसभा में प्रस्तुत करने के बाद उक्त बिल का लोकसभा के अन्दर व बाहर भारी विरोध हुआ जिसके बाद इस बिल को ज्वाइन्ट पार्लियामेन्ट्री कमेटी (जे. पी. सी.) को सोप दिया गया। इस बिल में स्पष्ट है कि मौजूदा वक़्फ़ बोर्ड की हैसियत को सरकार समाप्त करना चाहती है और वक़्फ़ जायदादों को नष्ट करना चाहती है। इसी उद्देश्य से बिल में सरकार द्वारा कई नए प्रावधान लाए गए हैं जो कि असंवैधानिक हैं, जैसेः-
1. वक़्फ अधिनियम 1995 पहले से ही बना हुआ है और संशोधित भी है जिसमें वक़्फ़ जायदादों के प्रबन्धन, संरक्षण और संचालन के उचित प्रावधान मौजूद हैं जिसके बाद किसी नए संशोधन की आवश्यकता नहीं है, परन्तु उनमें छेड़-छाड़ करके वक़्फ़ बोर्ड की हैसियत को कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही हैै।
2. वक़्फ़ मुसलमानों की सम्पत्ति है जिसके लिए सेन्ट्रल वक़्फ़ कमेटी व राज्यों के वक़्फ़ बोर्ड में कमेटी मेम्बर केवल मुसलमान हो सकते हैं, परन्तु इस प्रस्तावित बिल में मुसलमानों के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोगों को कमेटी में शामिल करके कमेटी के संविधान द्वारा मुसलमानों के प्रदत्त अधिकारों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की जा रही है।
3. वक़्फ़ जायदादों के विवादों को निपटाने के लिए पहले से वक़्फ़ ट्रिब्यून बना हुआ है, परन्तु विवादों को ज़िला कलेक्टर के हवाले करके वक़्फ़ जायदादों को हड़पने का प्रयत्न किया जा रहा है।
4. वक़्फ़ जायदादें केवल धार्मिक व समाजिक कार्यों के लिए हैं जिनके संचालन के लिए संविधान की कई धाराएं मुसलमानों को अधिकार प्र्रदान करती हैं। प्रस्तावित बिल में उन संवैधानिक अधिकारों को समाप्त करने का प्र्रयत्न किया जा रहा है।
5. इस बिल में मुसलमानों को संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14, 15, 25, 26, 29, 30) में सीधा हस्तक्षेप है जो कि संविधान में दी गई धार्मिक आज़ादी व वक़्फ़ संरक्षण व संचालन की आज़ादी की गारन्टी के ख़िलाफ़ है।
अतः इस बिल के लागू होने से भविष्य में वक़्फ़ सम्पत्तियों के नुक़सान का ख़तरा है। इसलिए “ज्वाइंट कमेटी तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़, राजस्थान” ने इस गम्भीर मुद्दे पर सरकार को नाराज़गी जताने, वक़्फ़ से सम्बंधित जन जागृति लाने और “वक़्फ़ संशोधन बिल 2024” का विरोध करने के लिए 10 नवम्बर 2024, रविवार को मोती डूंगरी रोड पर “तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ कॉन्फ्रेन्स” का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इस कॉन्फ्रेन्स में जे. पी. सी. मेम्बरान व अन्य प्रबुद्धजन सभा को सम्बोधित करेंगे।
ज्वाइंट कमेटी तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़, राजस्थान के मेंबर मोहम्मद नाज़िमुद्दीन (कन्वीनर), शब्बीर ख़ान (राजस्थान मुस्लिम फ़ोरम), हाफ़िज़ मन्ज़ूर अली (जमीअत उलैमा ए हिन्द), साजिद सहराई (वहदते इस्लामी हिन्द), डा. शहाबुद्दीन (एस. डी. पी. आई.), वक़ार अहमद (वेलफ़ेयर पार्टी ऑफ़ इण्डिया), एडवोकेट मुजाहिद नक़वी (मिल्ली कॉउन्सिल, राजस्थान), एडवोकेट शाहिद हसन (सदस्य, राजस्थान वक़्फ़ बोर्ड), मौलाना नाज़िश अकबर (इमाम शिया जामा मस्जिद), एडवोकेट सआदत अली (अध्यक्ष, ए. पी. सी. आर., राजस्थान), नईम क़ुरैशाी (अध्यक्ष, जमीअत क़ुरैश), इलियास क़ुरैशी (राजस्थान मुस्लिम फ़ौरम), शौकत क़ुरैशी (सचिव, राजस्थान मुस्लिम फ़ौरम), इस्लाम कारपेट (मुस्लिम मुसाफ़िर ख़ाना), हाजी सईद (कायमख़ानी समाज), मुफ़्ती शफ़ीक़ अहमद (जमीअत उलैमा ए हिन्द), मुफ़्ती अख़लाक़ अहमद (जमीअत उलैमा ए हिन्द), मुफ़्ती शहाबुद्दीन (जमीअत उलैमा ए हिन्द), मुफ़्ती ख़ालिद मिस्बाही (अहले सुन्नत वल जमाअत), पप्पु क़ुरैशी (समाज सेवा दल), नईम रब्बानी (राजस्थान मुस्लिम फ़ौरम), लतीफ़ आरको (मुस्लिम तैली महापंचायत), मौलाना अब्दुल हमीद (जमीअत उलैमा ए हिन्द), एडवोकेट सरवर आलम (राजस्थान मुस्लिम फ़ौरम), मौलाना अब्दुल रहीम नक़वी (जमीअत अहले हदीस) आदि कांफ्रेंस में मौजूद रहे।