“मठाधीशों का गढ़ अब अपना ना रहा”
जी हाँ गोरखपुर 29
साल से मठाधीशों कि विरासत रहा।गोरक्षापीठ के महंत अवैद्यनाथ ने पहली बार हिंदू महासभा के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था. उन्होंने कांग्रेस के कब्जे वाली इस सीट पर बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. उसके बाद ब साल 1991 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के टिकट से संसद पहुंचे.अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ मठ के साथ-साथ उनके राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में सामने आए. साल 1998 के उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ पहली बार संसद पहुंचे. उन्होंने साल 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर से बड़ी जीत दर्ज की थी।
परन्तु मठाधीश योगी आदित्यनाथ ने अपनी विरासत को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होते हुए भी नही बचा पाए और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार ने उनके गढ़ में एक बड़ी जीत दर्ज की है।
उत्तरप्रदेश में सरकार बनाने के बाद भाजपा सरकार एक साल का जश्न उपचुनाव में जीत के जश्न से मनाना चाहती थी परंतु जनता ने इन इरादों पर पानी फेर दिया और भाजपा के खेमे में सदमा छा गया।
यूपी बिहार उपचुनाव पर जनमानस राजस्थान का विश्लेषण शाम तक आपके सामने होगा।बने रहिए।