राजस्थान के सियासी घटनाक्रम में सचिन पायलट का विमान टेक ऑफ हो गया है. इमरजेंसी लैंडिंग और क्रैश लैंडिंग के बजाय इसकी सेफ लैंडिंग कैसी हो इसको लेकर लोगों में चर्चा जोरों पर है. हर तरफ लोग यही पूछ रहे हैं कि अब पायलट का क्या होगा? पायलट के पास कुल 5 ऑप्शन है इसमें से जो बेहतर लगे उस पर वह चलेंगे.
1- पहला ऑप्शन यह है कि वह कांग्रेस के अंदर अपने प्रेशर ग्रुप यानी अपने हमउम्र नौजवान नेताओं के जरिए कांग्रेस में सम्मानजनक जगह के लिए बारगेन करें. कांग्रेस के अंदर जतिन प्रसाद, प्रिया दत्त, दीपेंद्र हुड्डा, मिलिंद देवड़ा जैसे युवा नेता है जो लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि सचिन पायलट को मान सम्मान मिले और वह कांग्रेस में बने रहें. इस संकट की घड़ी में उनके साथी कांग्रेस आलाकमान पर दबाव डाल सकते हैं.
2 – दूसरा कि उनका अशोक गहलोत मुक्त कांग्रेस आपरेशन अगर असफल हो गया है तो वह कांग्रेस में रहकर घर के अंदर ही दोबारा से तब तक कोशिश करते रहें जब तक बगावत करने वाले विधायकों की संख्या 25 के ऊपर न चली जाए. अगर उनके पास संख्या हो जाती है तब वह अशोक गहलोत से अपमान का बदला ले सकते हैं. मगर उसके पहले अगर पार्टी व्हिप जारी करते हैं और वह और उनके विधायक इसका उल्लंघन करते हैं तो पार्टी की सदस्यता और विधायक के पद से हाथ धोना पड़ सकता है.
3- उनके विधायक पार्टी की सदस्यता जाने की परवाह नहीं करें और कांग्रेश से अलग संगठन या मोर्चा बनाएं. सचिन पायलट उस संगठन की अगुवाई करें और कांग्रेस को चुनौती दें. फिलहाल इस ऑप्शन पर सबसे ज्यादा विचार किया जा रहा है कि क्यों नहीं सचिन पायलट अपने सम्मान की रक्षा के लिए अपना अलग रास्ता तय करें.
राजस्थान में करीब 30 ऐसी सीटें हैं जहां पर सचिन पायलट अपना प्रभाव रखते हैं. गुर्जर बहुल सीटों पर पायलट अपने उम्मीदवार तो जीता ही सकते हैं इसके अलावा मुस्लिम जनसंख्या और अनुसूचित जनजाति की मीणा सीटों पर वह उम्मीदवार जिता सकते हैं क्योंकि गुर्जर बहुल इलाकों में मुस्लिम और मीणा जनसंख्या खूब है. इसके अलावा उनके पास दीपेंद्र सिंह जैसे राजपूत नेता और विश्वेंद्र सिंह जैसे जाट नेता हैं जो संगठन को बड़ा करने में अपना योगदान दे सकते हैं.
4- पायलट के पास चौथा ऑप्शन यह है कि वह अपने साथ गए विधायकों को समझाएं कि वो बीजेपी में उनके मान सम्मान की रक्षा करेंगे और उनके साथ वह बीजेपी में चले जाएं मगर इसमें संकट यह है कि बहुत सारे ऐसे लोग सचिन पायलट के साथ हैं जो बीजेपी में नहीं जाना चाहते हैं.
वैसे नेता जिनकी उम्र सत्तर पार हो गई है जैसे हेमाराम चौधरी दीपेंद्र सिंह और मास्टर भंवरलाल शर्मा जो बीजेपी के साथ साथ नहीं जाना चाहते हैं. इन नेताओं का मानना है कि जिंदगी भर कांग्रेस में रहने के बाद अब आखिरी चुनाव में बीजेपी में जाकर क्या करेंगे.
इसके अलावा इनको अपने बेटों के भविष्य की चिंता भी है बीजेपी में शायद उनके बेटों की कदर नहीं हो और उनकी राजनीतिक विरासत आगे नहीं बढ़ पाए.
5- पांचवा ऑप्शन यह है कि पायलट किसी भी तरह से सरकार को गिराने लायक विधायकों की संख्या इकट्ठा कर लें और अपने अपमान का बदला ले लें फिर विधायक पद से इस्तीफा देकर दुबारा चुनाव लड़े।
– शरत कुमार (लेखक राजस्थान में पत्रकार हैं और यह लेख मूलत: आईचौक पर उनके ब्लॉग से लिया गया है)