तीसरा मोर्चा बनेगा या ताक़त दिखाने की है ज़िद!
अलवर से बीजेपी की तरफ से डॉ जसवंत यादव व कांग्रेस की तरफ से करणसिंह यादव ने अपना नामांकन भर दिया है।दोनों पार्टियों ने अपने अपने समीकरण बैठाकर टिकट दे दिए व प्रत्याशी मैदान में है।पिछले काफी समय से किसानों के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जी जाट कांग्रेस-बीजेपी से परे विकल्प देने के लिए कल नामांकन दाखिल करके मैदान में उतर चुके है।इसे तीसरा मोर्चा समझिये या जन उम्मीदवार लेकिन कांग्रेस-बीजेपी से असंतुष्ट जनता को विकल्प उपलब्ध करवा दिया है।यह अगले विधानसभा चुनाव के फाइनल मैच से पहले एक तरह का सेमीफाइनल मैच है।राजस्थान की जनता को इन चुनावों को बिल्कुल हल्के में नहीं लेना चाहिए।
राजस्थान में पिछले चार सालों से तीसरे विकल्प की चर्चा हो रही है लेकिन उसका स्वरूप अभी तक सामने नहीं आया है।राजपा विधायक किरोड़ीलाल मीणा, निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल व बीजेपी के असंतुष्ट विधायक घनश्याम तिवाड़ी बार बार तीसरे विकल्प को खड़ा करने की आत्मकथाएं राजस्थान की जनता को सुना रहे है व अपनी अपनी लोकप्रियता का दावा हर जगह व हर क्षेत्र में होने का कर रहे है।इन तीनों लोकप्रिय नेताओं का रुख इस उपचुनाव में स्पष्ट हो जाएगा।
ये तीनो नेता खुलकर बीजेपी या कांग्रेस का समर्थन करेंगे या मौन रहकर बीजेपी-कांग्रेस की जुगलबंदी का समर्थन करेंगे या खुलकर तीसरे विकल्प के रूप में नामांकन भर चुके रामपाल जी जाट के लिए मैदान में उतरेंगे!राजस्थान की जनता को अपनी पैनी नजर इन तीन नेताओं पर बनाकर रखनी होगी।घनश्याम तिवाड़ी की विचारधारा कभी किसान कमेरी हितेषी नहीं रही है फिर भी उन पर नजर जरूर रखना ताकि बहुत सारे राज सामने आएंगे!
निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल व किरोड़ीलाल मीणा किसान कमेरी कौमों को तीसरा विकल्प देने की वकालत काफी समय से कर रहे है
उन्होंने राजपा नाम से नई पार्टी बनाकर चुनाव के मैदान में दो-दो हाथ किये भी लेकिन पिछले काफी समय से इनकी नजदीकियां बीजेपी से जगजाहिर हो चुकी है।इस उपचुनाव में वो अपनी विश्वसनीयता कायम रखने के लिए कांग्रेस-बीजेपी के खिलाफ उपचुनाव में इन दोनों दलों के खिलाफ मैदान में उतरेंगे या मौन रहकर इनको समर्थन देंगे यह देखना बड़ा रोचक होगा।निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल पिछले चार सालों से हुंकार भर रहे है तीसरे विकल्प की!नागौर में भरी,बाड़मेर में भरी व अब बीकानेर में भरने वाले है!क्या यह हुंकार चुनावी चौसर में उतरेगी!क्या विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस-बीजेपी से परे विकल्प तलाश रही राजस्थान की जनता की भावनाओं का ख्याल रखते हुए इन दोनों दलों के खिलाफ मैदान में उतरे प्रत्याशियों के समर्थन में आएंगे?
खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने में देरी कर दी लेकिन क्या अपनी लोकप्रियता के बल पर तीसरे मोर्चे की आवाज बनने के लिए इस उपचुनाव में मैदान में उतरेंगे?बाई बाई का खेल चुनाव से परे राजनेता खेल सकते है लेकिन जब चुनाव का रण सज जाए तो कोई भी राजनेता खामोश या तटस्थ नहीं रह सकता!
“समर शेष है,पाप का भागी न कोई व्याध
जो तटस्थ है,समय लिखेगा उनका भी अपराध!”
राजस्थान की जनता के सामने इन तीनों नेताओं के दावों की पुष्टि हो जाएगी।कोई भी राजनेता अपने समाज की आड़ लेकर नहीं छुप सकता है!राजनीति के मैदान में जंग लड़ने व कांग्रेस-बीजेपी से परे मैदान सजाने की बात कर रहे हो तो अब वो समय आपके सामने आ चुका है जब आपको अपना रुख स्पष्ट करना ही होगा!
जब उतर चुके हो जंग के मैदान में तो
अपनी पसंद का मैदान चुनना छोड़ दीजिए!
इधर हो या उधर हो तुम्हे बताना पड़ेगा
अपनी ढपली से राग सुनना छोड़ दीजिए!!
-प्रेमाराम सियाग