सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट केरल की कोंफ्रेंस में कल अफराजुल की बड़ी बेटी के द्वारा दिया गया भाषण
सलाम अलैकुम….
मेरा नाम जोशन आरा है, मैं मेरे अब्बा की सबसे बड़ी बेटी हूं। मेरी दो छोटी बहनें भी है। रिजना और हबीबा। लेकिन कोई भाई नहीं है।
रोजगारी करने वाले घर में सिर्फ अब्बा ही एक अकेले मर्द थे। उन्हीं की बुनियाद पर घर का सारा खर्च चलता था। कोई दूसरा मर्द घर में नहीं था इस वजह से हमारी सारी जिम्मेदारी उन्हीं की थी।
वो बीस साल से राजस्थान में काम कर रहे थे। साल में कभी एक या दो बार घर भी आते थे।
मेरी मां बीमार रहती है और उनका तीन बार ऑपरेशन भी हो चुका है। हमारे पास घर के नाम पर सिर्फ एक कमरा है। इस तरह की कई सारी मुश्किलों के बावजूद भी अब्बा फैमिली का खर्चा जुटाने के लिए राजस्थान में रहते थे।
फिर जब एक रोज अब्बा की मौत की खबर पहुंची तो ऐसा लगा जैसे सब कुछ बर्बाद हो गया हो,क्योंकि वही हमारे घर के सब कुछ थे।
आप लोग जानते हैं किस तरह मेरे अब्बा को उस दरिंदे ने मारा और फिर उसका वीडियो भी बनाया।
उस वीडियो को हम देख भी नहीं सकते, वह इतना वहशतनाक है।
अब्बा का चले जाना हमारे परिवार के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। हम लोग पहले से ही कई मुश्किलों में है और अब अब्बा भी नहीं है।
उन्होंने हमारा एक घर बनाने के बारे में भी सोचा था। लेकिन उनके चले जाने के बाद सब कुछ बहुत मुश्किल लगता है। मेरी अम्मी बीमार रहती है। फिर अब्बा की मौत के बाद कोर्ट कचहरी के मसाइल भी है।
हमारी कई लोग मदद कर रहे हैं, लेकिन हमारी उम्मीदों से बढ़कर सॉलिडेरिटी ने हमारी मदद की।
पी एम सालिह मेरे घर पर आए और हमें तीन लाख रुपए घर बनाने के लिए भी दीए, हमें सब्र करने के लिए कहा और मेरी छोटी बहन हबीबा की पढ़ाई का सारा खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी ली। घर का काम शुरू हो जाएगा तो यह हमारी और मदद करेंगे इसलिए मैं उनकी बहुत शुक्रगुजार हूं।
मुझे उम्मीद है कि लोग हमारी इस तरह मदद करते रहेंगे तो हम जल्द ही मुश्किलों से बाहर निकल आएंगे।
Solidarity हमें अपने खानदान के मेंबर की तरह महसूस होती है। जिसने हमारी इस तरह मदद की जिस तरह खानदान के लोग भी नहीं करते।
मुझे उम्मीद है कि यह लोग एक खानदान ही की तरह हमारी आगे भी मदद करते रहेंगे।
और मैं उन सभी लोगों का भी शुक्रिया अदा करती हूं जो मजलूमों के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं।
साथ ही साथ एक बार फिर से पी एम सालेह और सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट का शुक्रिया अदा करती हूं।
इस स्टेज से शंभूलाल के लिए फांसी की भी मांग करती हैं और आप सभी से गुजारिश करती हूं कि जब तक उसे फांसी ना मिले इस लड़ाई को कमजोर मत होने दीजिएगा।
शुक्रिया