ह्रदय विलाप-(कविता)

*** ह्रदय विलाप ***
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हृदय ने ह्रदय से पूछा
हृदय में क्या होता है
प्रतिक्षण उत्तर मिला यहीं से
प्रेम यहीं सँजोता है ।

क्या है बंधन क्या है नाते
क्या है जीवन का अविराम
ह्रदय को ह्रदय से जोड़ो
मिल जाएगा फिर आराम ।

क्या हिन्दू क्या मंदिर है
क्या मुस्लिम क्या मस्जिद है
पवित्र करो अपने ह्रदय को
फिर सोचो क्या है ये नाम ।

क्या है दर्शन क्या है तीरथ
क्या है जीवन में ये धाम
मिल जाओ एक दूजे से
हो जाएंगे फिर सब काम ।

क्या है भगवन क्या है मौला
ये तो है सब उपनाम
लोगो ने बाटी है दुनिया
लोगो ने बाटे ये नाम ।

ये जीवन तो तुम्हे मिला है
दर्शन को उस जीवन के
पूर्ण करो अपने लक्ष्य को
फिर देखो जीवन का सार ।

क्या है मजहब क्या है धर्म
क्या है जीवन का आधार
पीकर प्रेम मदिरा सब
फिर झूमो एक रंग में आज ।

फिर होगी जीवन दक्षता
ओर फिर दक्ष कहलाओगे
हर रंगों से हटकर फिर सब
एक रंग, रंग जाओगे ।।।

इनायत अली, निवाई 

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